खेत-खालिहानों को आवासीय प्लॉट के रूप में खरीद-बिक्री की जा रही है। हालत यह है कि क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्रों में भी रोज़ कहीं न कहीं कॉलोनी बनाने का नक्शा तैयार किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भू-माफिया रेरा के नियमों को ध्यान में न रखते हुए प्लॉटों की बिक्री कर रहे हैं। कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती हैं इसलिए इन लोगों को शासन के कार्यवाही कोई भय नहीं है। टाउन एंड कंट्री प्लाटिंग विभाग से लेआउट अप्रूव कराना जरूरी होता है जब जमीन की प्लाटिंग की जाती है।
अप्रूवल के लिए सड़क, नाली और गार्डन के लिए 55% जमीन आरक्षित करनी पड़ती है। बाकी 45% जमीन पर प्लाटिंग करके उसे बेचा जा सकता है। लेकिन ऐसा अवैध प्लाटिंग करने और बेचने वाले भू-माफिया नहीं करते हैं। अवैध निर्माण के कारण शहर का सुयोजित विकास संभव नहीं हो रहा है। गांव का नक्शा भी बिगड़ रहा है, और लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते हैं। अवैध तरीके से कॉलोनियाँ बनाने वाले भू-माफिया ने अपनी सभी सीमाओं को पार कर दिया है। इससे शासन को राजस्व का भी भारी नुकसान होता है। सभी सुविधाओं का वादा करके भोले-भाले लोगों को फंसाने वाले इन जमीन दलालों को खुली छूट और प्रशासन की चुप्पी अनेक सवालों को उठाती है ?