रायपुर (राज्य ब्यूरो): छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: लोकतंत्र के उत्सव में, न केवल गाँवों और शहरों के नागरिक ही साक्षी बनेंगे, बल्कि रहस्यपूर्ण अबूझमाड़ से लेकर आदिवासी क्षेत्रों के घने जंगल और पहाड़ों के बीच बसे विशेष संरक्षित जनजाति के लोग भी इस महोत्सव में अपनी छाप छोड़ेंगे। इस अद्वितीय प्रकार, विशेष संरक्षित जनजाति भी शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। ये वे व्यक्तित्व हैं जो विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। चुनाव आयोग ने उनके द्वारा 100 प्रतिशत मतदान की लक्ष्य स्थापित की है।
खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ की पांच विशेष संरक्षित जनजातियों के मतदाताओं को शत-प्रतिशत मतदान के लिए जिला कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है। वे इन संरक्षित जनजातियों के एक-एक व्यक्ति को मतदान कराने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचाने का प्रबंध करेंगे। इनमें अबूमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बरिहोर एवं बैगा जनजाति के लोग शामिल हैं।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अनुसार, छत्तीसगढ़ में इन पांच विशेष जनजातियों की जनसंख्या प्रदेश भर में 1.86 लाख है, जिनमें 1.15 लाख लोग 18 वर्ष से ऊपर की आयु वाले हैं। इस समूह में कुल 1.13 लाख मतदाता शामिल हैं। इन मतदाताओं को आने जाने की जिम्मेदारी प्रशासन को होगी। हाल कुछ दिनों पहले, भारत सरकार के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने तीन दिवसीय विशेष दौरे के दौरान इन विशेष संरक्षित जनजातियों पर विशेष समीक्षा की थी।
सिर्फ 2000 मतदाता सूची से बाहर
निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, 1.86 लाख की जनसंख्या में से 18 वर्ष से अधिक आयु वाले केवल 2000 विशेष जनजाति के मतदाता सूची से बाहर हैं। निर्वाचन कार्यालय के अभियान के परिणामस्वरूप, 99 प्रतिशत लोगों को मतदाता बनाने की प्रक्रिया पूरी की गई है। जिन व्यक्तियों का नाम सूची में शामिल नहीं किया गया है, उनसे पुनः संपर्क स्थापित किया जाएगा।
1979 में नसबंदी पर लग गई थी रोक
इस विशिष्ट निर्णय से हम विशेष संरक्षित जनजाति के लोगों के संरक्षण की महत्वपूर्णता का अनुमान लगा सकते हैं, यह फैसला मध्यप्रदेश के अविभाजित काल में, 15 सितंबर 1979 को, उनकी नसबंदी पर रोक लगाने की आदेश जारी किया गया था। इसके बाद, वर्ष 2016 में, राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय की मांगों के प्रति उत्तर स्वरूप नसबंदी के आदेश में संशोधन किया। यह विशेष जनजाति आदिवासी अंचलों में बस्तर, दंतेवाड़ा, रायगढ़, बिलासपुर, गरियाबंद, धमतरी, सरगुजा, बीजापुर, मुंगेली, राजनांदगांव, महासमुंद, कोरबा, जशपुर, बलरामपुर आदि जिलों में निवास करती है।
47 अलग-अलग योजनाएं
राज्य सरकार के आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा विशेष संरक्षित जनजातियों के लिए 47 विभिन्न प्रकार की योजनाएं आयोजित की जा रही हैं। इन योजनाओं में उनकी सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रोत्साहन, आर्थिक सहायता और अन्य सहायताएँ शामिल हैं। इसके साथ ही, जनजातियों के संरक्षण के लिए आदिवासी नायकों के नाम पर विशेष पुरस्कार दिए जा रहे हैं और विशेष जनजातियों को वन अधिकार पत्र भी प्रदान किए जा रहे हैं।