रायपुर (राज्य ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट ने बैचलर ऑफ़ एजुकेशन (बीएड) और बेसिक ट्रेनिंग कोर्स (बीटीसी) के विवाद मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें सहायक शिक्षकों के लिए बीएड अभ्यर्थियों को अपात्र माना गया है। कोर्ट ने एनसीपीई और केंद्र सरकार द्वारा किए गए आपत्तियों को खारिज करके राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को मान्यता दी है, और प्राइमरी स्कूल से बीएड धारकों को बाहर किया गया है।
इस आदेश की पालना में, बिलासपुर के उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में शैक्षिक भर्ती के क्षेत्र में स्थित सहायक शिक्षक पदों के लिए बीएड योग्यता वाले आवेदकों की काउंसलिंग प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोकने का आदेश दिया है, हालांकि डीएड-डीएलएड अभ्यर्थियों की काउंसलिंग पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। बीएड अभ्यर्थियों का विरोध कारण है क्योंकि काउंसिलिंग नहीं होने से, और स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए महाधिवक्ता से मार्गदर्शन की मांग की है।
अभ्यर्थियों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने दिया तर्क
स्कूल शिक्षा विभाग का विचार है कि वायदे को पूरा करने के लिए 12,489 पदों की घोषणा की गई थी जो युवाओं को रोजगार प्रदान करने का वादा किया था। व्याख्याता के 432 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। शिक्षक के 5,772 पदों पर काउंसिलिंग और दस्तावेज सत्यापन का काम अब भी चल रहा है और यह लगभग 10 दिनों में पूरा हो जाएगा। इन पदों पर उन अभ्यर्थियों को भर्ती किया जा रहा है जिनकी बीएड योग्यता है, और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। सहायक शिक्षक के 6,285 पदों पर नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग प्रारंभ हो चुकी है। राज्य सरकार के विज्ञापन में सहायक शिक्षक के पदों के लिए भी बीएड योग्यता को मान्यता दी गई थी, और उन्हें व्यापमं की परीक्षा में भाग लेने का अवसर दिया गया था, लेकिन इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीएड योग्यता वालों को सहायक शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इसके तत्काल बाद, बिलासपुर हाई कोर्ट ने 21 अगस्त को सहायक शिक्षक पदों के लिए बीएड योग्यता वाले आवेदकों की काउंसिलिंग प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोकने का आदेश दिया है।