छात्रों ने अपनी पहचान बताने से किया माना।
प्राप्त जानकारी के अनुसार – कुछ दिनों पहले स्कूल के छात्रों ने उनके साथ हो रही समस्याओ को पत्रकार से साँझा किया जिससे की स्कूल की प्रधान अध्यापिका नाराज़ हो गई और साला प्रबंधक समिति की बैठक बुलाई गई जहा पर उन 4रो बच्चो पर प्रधान अध्यापिका ने दबाव पूर्ण सवाल – जवाब किये गए साथ ही स्कूल से निकल देने की बात तक कही गई , बच्चो ने डर में चुप्पी थाम ली , फिर उनसे कहा गया की तुम 4रो को 4 दिनों के लिए ससपेंड किया जाता है और 4 दिनों के बाद अपने -अपने परिजनों के साथ ही स्कूल आना , इस बात से बच्चे डर गए।
CGSUPERFAST न्यूज़ के टीम ने जब बच्चो से बात करी तो वह इतने डरे हुए थे की बात तक नहीं करना चाह-रहे थे ,
और फिर सामने आया असली सच – बच्चो ने बताया की उनके साथ केवल भेद-भाव नहीं और भी परेशानिया है ,
छात्र वर्सन – हमको स्कूल के तरफ से फुटबॉल मैच खेलने के लिए भिलाई चरोदा जाना था , जिसके लिए हमने प्रिंसिपल से कहा की हमारे जाने और आने की व्यवस्था करवाइये , तो प्रिंसिपल का कहना था की स्कूल के पास फंड्स नहीं है , पहले बिल दो ! तब ऊपर से पैसे आएंगे नहीं तो अपना देखो, यहाँ तक इंटर स्कूल फुटबॉल मैच खेलने जा रहे थे तो खाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी , नाश्ते के नाम पर 20RS. दिए गए।
छात्रों ने बताया की हमारे साथ सच में भेद-भाव होता है,
क्या ये सभी छात्र झूठ बोल रहे हैं ?
अगर हाँ तो आखिर क्यों ?
यहाँ तक की छात्रों ने बताया की उनपर एक-दूसरे से मारपीट करने की भी झूठी लांछन लगाई गई , जिससे छात्रों में आक्रोश दिख रहा है, छात्रों ने बताया की हम अब I.S.U (इंडिपेंडेंट स्टूडेंट यूनियन) के जिला महासचिव कुणाल वर्मा से बात कर अपनी समस्याएं बताई जिसपर कुणाल वर्मा (I.S.U) ने कहा
वर्सन -: भूपेश सरकार के पास राजीव युवा मितान क्लब के जरिये छत्तिश्गढ़िया ओलम्पिक करवाने के लिए फण्ड हैं, लेकिन छात्रों के लिए फण्ड नहीं हैं , क्या स्कूल प्रशाशन सरकारी फण्ड का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही हैं ? इतना सब फंडिंग आता है , कहा है वो क्या सिर्फ कुछ ही चीज़ो में ख़त्म हो जाता हैं क्या ? जो फण्ड नहीं जैसी तुच्छ बाते की जा रही है , वो भी मुख्यमंत्री के गांव में राजीव युवा मितान क्लब में सिर्फ राजनैतिक कार्यो के लिए फण्ड भेजे जाते हैं और स्कूली छात्रों का क्या ? ये जो पाटन स्कूल में हो रहा हैं , ये कोई नई बात नहीं है , और भी बहुत से छात्रों से मुझे इन चीज़ो के बारे में बताया हैं और बहुत जल्दी इस पर (I.S.U) की टीम मिल कर आवाज उठाएंगे , शाशन-प्रशाशन से बात करेंगे।
इस हो रहे अ-नैतिकता को नैतिकता में लाने का प्रयत्न करेंगे।
अब इस शिक्षा के मंदिर में हो रही भेद-भाव के खेल का नतीजा क्या होगा ?
क्या इस पर शाशन-प्रशाशन कोई कदम उठाएगी ?
क्या शिक्षा के मंदिर में यह भेद-भाव का खेल सही है ?
पूछता है पाटन ?
आखिर सच क्या हैं ?
पूछता हैं पाटन ?
क्या सरकार अपने ही सरकारी स्कूल की पूर्ती करने में असमर्थ है ?
आखिर क्यों है स्कूल में फण्ड की कमी ?