31 पार्टियों ने नहीं दी पार्टी फंड की जानकारी, खतरे में है इन दलों की मान्यता, निर्वाचन कार्यालय ने भेजा नोटिस

आय व्यय का ब्यौरा भी छुपाया

निर्वाचन कार्यालय की ओर से इन पार्टियों को अब अंतिम नोटिस देने की तैयारी चल रही है, जिसके बाद कार्रवाई की रूपरेखा तय होगी। पार्टी फंड की जानकारी नहीं देने वाली पार्टियों पर मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। उल्लेखनीय है कि पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को हर वर्ष पार्टी फंड की जानकारी देनी होती है। जिन पार्टियों ने आय-व्यय का ब्यौरा नहीं दिया है। उनमें रायपुर, दुर्ग, भिलाई, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, सरगुजा आदि जिलों की पार्टी शामिल हैं। कई पार्टियों का कार्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है।

इन पार्टियों ने नहीं दी आय-व्यय की जानकारी

भारतीय स्वतंत्र पार्टी जिला बलरामपुर, भारतीय जनता सेक्युलर पार्टी जिला कोरबा, राष्ट्रीय समाजवादी स्वाभिमान मंच, छत्तीसगढ़ विकास पार्टी रायपुर, आजाद जनता पार्टी भिलाई, भारतीय दलित कांग्रेस अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी रायपुर, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा बालोद, छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी सरगुजा, जय छत्तीसगढ़ पार्टी रायपुर, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच भिलाई, सुंदर समाज पार्टी रायगढ़, भारतीय सर्वजन हिताय पार्टी रायपुर, राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी भिलाई, प्रजातंत्र कांग्रेस पार्टी रायगढ़ , पृथक बस्तर राज्य पार्टी रायपुर, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्ट्रीय पार्टी कोरिया, राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी रायपुर, भारतीय पिछड़ा दल जिला बिलासपुर, छत्तीगढ़ियां पार्टी कोरबा, शक्ति सेना (भारत देश) रायपुर, भारतीय सदभावन समाज पार्टी जिला जिला बिलासपुर, भारतीय प्रजातांत्रिक शुद्ध गांधीवादी कृषक दल जिला जांजगीर, पिछड़ा समाज पार्टी यूनाइटेड दुर्ग, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बिलासपुर, धूम सेना जिला रायपुर, छत्तीसगढ़ नवनिर्माण सेना रायपुर, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ एकता पार्टी जिला जांजगीर-चांपा, आप सब की अपनी पार्टी जिला बिलासपुर।

क्या है पालिटिकल फंडिंग

राजनीतिक पार्टियां गतिविधियों और प्रचार-प्रसार के लिए धन जुटा सकती है या लोग पार्टी को फंड प्रदान करते हैं। अधिनियम 29बी डोनेशन एक्ट के अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर किसी भी व्यक्ति या कंपनी से पार्टी के लिए अनुदान लिया जा सकता है।

निर्वाचन कार्यालय के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी शिखा राजपूत तिवारी ने कहा, पार्टी फंड की जानकारी नहीं देने वाले 31 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूचीबद्ध किया गया है। इन पार्टियों को पार्टी फंड और आय-व्यय का ब्यौरा आयकर विवरणी सहित प्रस्तुत करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अंतिम समय तक जानकारी नहीं देने पर नियमानुसार कार्यवाही के लिए प्रस्ताव दिया जाएगा।

यह है नियम

1. भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक किसी भी पार्टी को 2000 रुपये तक कैश डोनेशन दिया जा सकता है। इसके ऊपर के डोनेशन के लिए आनलाइन ट्रांसफर जरूरी होता है।

2. 20 हजार रुपये से ज्यादा का डोनेशन देने पर इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।

3. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम-2010 के मुताबिक विदेशी कंपनी भी भारतीय राजनीतिक पार्टियों को धन दे सकती है।

4. सरकार ने दो जनवरी 2018 को राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना की शुरुआत की।

5. कार्पोरेट फंडिंग के अंतर्गत किसी एक राजनीतिक पार्टी को दान करने के लिए कंपनी कम से कम तीन वर्ष पुरानी होनी चाहिए।

छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में छह महीने शेष है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां आय-व्यय का ब्यौरा छुपा रही हैं। प्रदेश की 31 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने पार्टी फंड की जानकारी नहीं दी है। इन पार्टियों ने आय-व्यय का ब्यौरा भी छुपाया है। पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल निर्वाचन विभाग के निर्धारित प्रारूप में अंशदान रिपोर्ट देने में विफल रहे हैं।

आय व्यय का ब्यौरा भी छुपाया

निर्वाचन कार्यालय की ओर से इन पार्टियों को अब अंतिम नोटिस देने की तैयारी चल रही है, जिसके बाद कार्रवाई की रूपरेखा तय होगी। पार्टी फंड की जानकारी नहीं देने वाली पार्टियों पर मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। उल्लेखनीय है कि पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को हर वर्ष पार्टी फंड की जानकारी देनी होती है। जिन पार्टियों ने आय-व्यय का ब्यौरा नहीं दिया है। उनमें रायपुर, दुर्ग, भिलाई, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, सरगुजा आदि जिलों की पार्टी शामिल हैं। कई पार्टियों का कार्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है।

इन पार्टियों ने नहीं दी आय-व्यय की जानकारी

भारतीय स्वतंत्र पार्टी जिला बलरामपुर, भारतीय जनता सेक्युलर पार्टी जिला कोरबा, राष्ट्रीय समाजवादी स्वाभिमान मंच, छत्तीसगढ़ विकास पार्टी रायपुर, आजाद जनता पार्टी भिलाई, भारतीय दलित कांग्रेस अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी रायपुर, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा बालोद, छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी सरगुजा, जय छत्तीसगढ़ पार्टी रायपुर, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच भिलाई, सुंदर समाज पार्टी रायगढ़, भारतीय सर्वजन हिताय पार्टी रायपुर, राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी भिलाई, प्रजातंत्र कांग्रेस पार्टी रायगढ़ , पृथक बस्तर राज्य पार्टी रायपुर, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्ट्रीय पार्टी कोरिया, राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी रायपुर, भारतीय पिछड़ा दल जिला बिलासपुर, छत्तीगढ़ियां पार्टी कोरबा, शक्ति सेना (भारत देश) रायपुर, भारतीय सदभावन समाज पार्टी जिला जिला बिलासपुर, भारतीय प्रजातांत्रिक शुद्ध गांधीवादी कृषक दल जिला जांजगीर, पिछड़ा समाज पार्टी यूनाइटेड दुर्ग, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बिलासपुर, धूम सेना जिला रायपुर, छत्तीसगढ़ नवनिर्माण सेना रायपुर, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ एकता पार्टी जिला जांजगीर-चांपा, आप सब की अपनी पार्टी जिला बिलासपुर।

क्या है पालिटिकल फंडिंग

राजनीतिक पार्टियां गतिविधियों और प्रचार-प्रसार के लिए धन जुटा सकती है या लोग पार्टी को फंड प्रदान करते हैं। अधिनियम 29बी डोनेशन एक्ट के अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर किसी भी व्यक्ति या कंपनी से पार्टी के लिए अनुदान लिया जा सकता है।

निर्वाचन कार्यालय के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी शिखा राजपूत तिवारी ने कहा, पार्टी फंड की जानकारी नहीं देने वाले 31 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूचीबद्ध किया गया है। इन पार्टियों को पार्टी फंड और आय-व्यय का ब्यौरा आयकर विवरणी सहित प्रस्तुत करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अंतिम समय तक जानकारी नहीं देने पर नियमानुसार कार्यवाही के लिए प्रस्ताव दिया जाएगा।

यह है नियम

1. भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक किसी भी पार्टी को 2000 रुपये तक कैश डोनेशन दिया जा सकता है। इसके ऊपर के डोनेशन के लिए आनलाइन ट्रांसफर जरूरी होता है।

2. 20 हजार रुपये से ज्यादा का डोनेशन देने पर इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।

3. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम-2010 के मुताबिक विदेशी कंपनी भी भारतीय राजनीतिक पार्टियों को धन दे सकती है।

4. सरकार ने दो जनवरी 2018 को राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना की शुरुआत की।

5. कार्पोरेट फंडिंग के अंतर्गत किसी एक राजनीतिक पार्टी को दान करने के लिए कंपनी कम से कम तीन वर्ष पुरानी होनी चाहिए।

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