अम्बिकापुर समाचार: प्रतिकूल मौसम में हाथियों का भय, पक्के आंगनबाड़ी भवनों में गुजर रही रात…|

अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट वन परिक्षेत्र में दो जंगली हाथी स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। प्रतिकूल मौसम के बावजूद भी हाथियों से जनहानि को रोकने के लिए पूरी ताकत लगाई जा रही है। हाथी विचरण क्षेत्र से निकटवर्ती गांव के एकल घरों में रहने वाले लोगों को शाम होने पर पक्के आंगनबाड़ी भवनों में शिफ्ट किया जा रहा है। वन विभाग इससे जनहानि को रोकने की कोशिश कर रहा है।

मैनपाट से लगे धर्मजयगढ़ वनमण्डल में 14 हाथियों का एक दल विचरण कर रहा है, ऐसा बताया जा रहा है। यह हाथियों का दल कई दिनों से जंगल में बंद है, जबकि दो जंगली हाथियों ने मैनपाट के कण्डराजा, चोरकीपानी और दातीढाब बस्ती के आसपास तक आना शुरू कर दिया है। कोहरे और धुंध के कारण मैनपाट के पहाड़ी क्षेत्र में दृश्यता भी कम हो गई है।

शाम ढलने के बाद बिजली या टॉर्च की रोशनी से भी दूर तक स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। ऐसे में जंगली हाथियों के बस्ती के आसपास जाने के बावजूद उनकी सही तरीके से निगरानी करना आसान नहीं है। झमाझम वर्षा भी हो रही है।

ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए वन विभाग ने पूर्व के वर्षों के समान दिन में ही हाथी विचरण क्षेत्रों में मुनादी करानी शुरू कर दी है। लोगों को सजग और सतर्क रहने की अपील के साथ शाम होने के बाद एकल घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराने का कार्य शुरू किया गया है।

मैनपाट के रेंजर फेकू चौबे ने बताया कि मैनपाट के हाथी विचरण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्व के वर्षों में हाथी संकट प्रबंधन केंद्र के रूप में विकसित भी किया गया है। इन्हीं भवनों में लोगों को आपत्ति की स्थिति में रखा जा रहा है। सारी रात लोग सुरक्षित तरीके से पक्के मकानों में विश्राम कर रहे हैं।

वन विभाग की ओर से सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिसका प्रयास हाथियों से होने वाली जनहानि को रोकना है। यह बताया जा रहा है कि इस सीजन में मैनपाट में पिछले कई वर्षों से हाथियों का स्वच्छंद विचरण आबादी क्षेत्रों के आस-पास होता है। इस कारण जनहानि की घटनाएं भी होती हैं।

इस बार वन विभाग पहले से ही सतर्क है और लोगों से सहयोग की अपील की जा रही है। उन्हें आश्वस्त किया जा रहा है कि वन विभाग द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं का उपयोग करें। जंगल के आसपास एकाएक हाथियों के आने से जान बचाना संभव नहीं होता है, इसलिए सुरक्षित पक्के मकानों में ही रहने का निवेदन किया जाता है।

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