अंबिकापुर। बलरामपुर पुलिस अधीक्षक के पदभार संभालने के बाद, डॉ. लाल उमेद सिंह ने पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की तबादला सूची जारी की है। इसमें चार थाना और एक चौकी के प्रभारी को बदल दिया गया है। एक ही स्थान पर लंबे समय से बंदिश के चलते रुके हुए पुलिस कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया है। दूरस्थ थाने में पदस्थ पुलिस अधिकारियों को बलरामपुर के नगरीय क्षेत्र के थानों में कार्य करने का अवसर प्रदान किया गया है।
हाल ही में बलरामपुर जिले में पदस्थ निरीक्षक विजय प्रताप सिंह को सनावल थाना की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि उपनिरीक्षक सुभाष कुजूर को रामचंद्रपुर थाना का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इससे पहले निरीक्षक विजय प्रताप सिंह सरगुजा जिले में पदस्थ थे।
साइबर अपराधों में शामिल अपराधियों को पकड़ने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब उप-निरीक्षक रमेश कुमार को थाना शंकरगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उप-निरीक्षक कृपाल सिंह को रक्षित केंद्र बलरामपुर की जिम्मेदारी दी गई है। अब तक नक्सल प्रभावित सामरी थाना क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे उप-निरीक्षक अर्जुन यादव को बरियों चौकी का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
निवर्तमान पुलिस अधीक्षक द्वारा रक्षित केंद्र में संलग्न किए गए उपनिरीक्षक विनोद पासवान को फिर से मैदान में काम करने का मौका दिया गया है। उन्हें नक्सल प्रभावित सामरीपाठ थाने का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही, बरियों चौकी के प्रभारी के रूप में कार्यरत उपनिरीक्षक अमित बघेल को रक्षित केंद्र में वापसी हुई है।
पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी की गई स्थानांतरण सूची में सहायक उपनिरीक्षक सुखेन सिंह को रामानुजगंज से बसंतपुर थाना में, नवा साय राम को कोरंधा से कुसमी थाना में, राकेश सिंह को बसंतपुर से रामानुजगंज थाना में, राजकिशोर खलखो को बलरामपुर से चांदो थाना में, नेतराम को चलगली से बलरामपुर थाना में, सरधा कुजुर को चांदो थाना में और गोपाल दत्त डहरिया को बलरामपुर यातायात से चांदो थाना में पदस्थ किया गया है।
इसके अलावा, बलरामपुर पुलिस अधीक्षक ने 44 प्रधान आरक्षक, 32 महिला आरक्षक और आरक्षकों की भी तबादला सूची जारी की है। पुलिस अधीक्षक के पदभार संभालने के बाद, डॉ. लाल उमेद सिंह ने जिले के विभिन्न थाना और चौकी क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान, थाना और चौकी प्रभारियों के कामकाज की समीक्षा भी की गई थी। सशक्त कार्य करने वाले पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों की प्रशंसा की गई थी और कार्य में कमी का पता चलने पर पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को सुधार का अवसर दिया गया था।