कोरबा। लोक निर्माण विभाग स्वयं के आवासों के दशा सुधार मरम्मत कराने में असफल है। विभागीय भवनों में आईटीआई तकनीकी संस्थान के अलावा कर्मचारी आवास शामिल हैं। संस्था और विभाग दोनों के पास फंड नहीं होने की समस्या बता रहे हैं। जर्जर आईटीआई भवन का छात्रावास ध्वस्त हो चुका है। बिना बालिका छात्रावास के संचालित तकनीकी संस्थान में दूर दराज से आने वाली छात्राओं का पढ़ाई बाधित है, वहीं कर्मचारियों के परिवार पालिथीन ढंके आवास में रहने को मजबूर हैं।
जिले का सबसे पुराना तकनीकी संस्थान आईटीआई का संचालन लोकनिर्माण के भवन रामपुर में किया जा रहा है। संस्थान में संचालित कक्षाओं के अलावा परिसर में निर्मित छात्रावास भवन की स्थिति दयनीय है। हालिया स्थिति यह है कि भवन के कई कमरे उपयोग हीन हो चुके हैं।
भवन में विभिन्न ट्रेड से संबंधित विषयों के ट्रेड भी संचालित किया जा रहा है। भवन के सुधार के लिए तकनीकी संस्थान ने लोक निर्माण विभाग को कई बार पत्र व्यवहार किया है। मरम्मत के लिए शासन से राशि नहीं मिलने के कारण भवन की स्थिति जैसी है, वैसी ही बनी हुई है। परिसर में जर्जर हो चुके अतिरिक्त भवन पूरी तरह से बेकार पड़ा है। सबसे अधिक दुर्दशा प्रायोगिक कक्षा की है, जहां कीमती मशीनरी सामानों को सुरक्षित रखने की समस्या होती है। बारिश के दौरान प्रायोगिक कार्य बंद रहते हैं।
प्रशासन की ओर से अव्यवस्था को नजरअंदाज करने के कारण यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को खतरे के साए में पढ़ाई करनी पड़ रही है। इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रानिक ट्रेड सहित अन्य प्रायोगिक ट्रेड का काम विद्युतीकरण के माध्यम से होता है। बारिश के दिनों में गीले फर्श वाले कमरों में प्रायोगिक कार्य किया जाना खतरे का सबब साबित होता है। विभाग के अधिकारियों द्वारा केवल पत्राचार का क्रम जारी है।
व्यवस्था में सुधार न होने के कारण कर्मचारियों से लेकर विद्यार्थियों तक को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तकनीकी संस्थान में प्रायोगिक कार्य मात्र औपचारिक ही साबित हो रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों को आवंटित आवासों की वर्षों से मरम्मत न होने के कारण दशा जर्जर हो चुकी है। पानी की सिपेज से बचने के लिए आवासों की छतों में पालिथीन ढंककर काम चलाया जा रहा है।
यहां तक कि अधिकारियों को भी आवंटित आवासों की दशा दयनीय है। बारिश के दौरान कमरों में पानी भर जाना आम बात है। जर्जर भवन को आवंटित किए जाने के कारण विभाग में कार्यरत कई कर्मचारियों को किराए के मकान में रहने की मजबूरी है।
छात्रावास में नहीं रहते छात्र
तीन में से दो छात्रावास परिसर में निर्मित जर्जर हो चुके हैं। एकमात्र छात्रावास के अधिकांश कमरे उपयोगहीन हो चुके हैं। यहां छात्रों की संख्या कम है। जर्जर भवन में रहने की बजाय छात्र किराए के कमरों में रहते हैं। गरीब परिवार के छात्र जो किराए के कमरों में नहीं रह सकते, उन्हें छात्रावास में रहने की मजबूरी होती है। छात्रावास में श