रायपुर: पैसों के लिए एक दत्तक पुत्र ने बुजुर्ग मां की गला दबाकर हत्या कर दी, और उसके शव को मेडिकल कॉलेज में दान कर दिया गया था।

रायपुर। तीन साल पहले, पैसों की खातिर मां की हत्या करने वाले कलयुगी दत्तक पुत्र को कोर्ट ने दोषी पाया है, हत्या और साक्ष्य छुपाने के आरोप में। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, साथ ही तीन वर्षों का सश्रम कारावास और एक हजार पांच सौ रूपये का अर्थदंड भी लगा दिया गया है। यदि अर्थदंड की राशि जमा नहीं की जाती है, तो आरोपी को तीन माह अतिरिक्त सजा भुगतनी करनी होगी।

लोक अभियोजक मनोज वर्मा ने बताया कि इस हत्या की घटना पुरानी बस्ती इलाके के प्रोफेसर कालोनी, परशुरामनगर गली नंबर दो स्थित घर में 25 फरवरी 2019 की रात को हुई थी। यह सच्चाई जगदीश बोस द्वारा दो मार्च 2019 को पुरानी बस्ती पुलिस थाने में दर्ज की गई रिपोर्ट में उल्लिखित है, जहां उन्होंने संदेहास्पद घटना के बारे में बताया कि उनकी 68 वर्षीय बड़ी बहन हेमप्रभा बोस की मौत का संदेह है।

पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की तो पाया कि मृतका बहुत वृद्ध और बीमार थी। उसके दत्तक पुत्र सुदीप बोस (28) उसके साथ रहता था और उसने हमेशा मारपीट की थी। लालच में आकर संपत्ति प्राप्त करने के इच्छुक होकर उसने मां हेमप्रभा की हत्या कर दी और साक्ष्य को छिपाने के लिए उसका शव रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में ले जाकर फिर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दान कर दिया था।

पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाया तो यह साबित हुआ कि मारपीट के साथ सिर और शरीर के अन्य अंगों में गंभीर और बोथरे चोटें हैं। परिस्थिति के साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने हत्या और साक्ष्य को छिपाने के आरोप में केस दर्ज किया और आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेजा।

इसके बाद पुलिस ने विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटी) हिरेंद्र सिंह टेकाम कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। न्यायाधीश ने प्रमाणिक सबूत और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को हत्या और साक्ष्य छिपाने के दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास और तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।

पैसे न देने पर उसने पिटाई की। जांच के दौरान पुलिस ने खोजा कि आरोपी दत्तक पुत्र सुदीप बोस पैसों की मांग करता था। हेमप्रभा बोस ने इसे अस्वीकार किया तो उसने उसे पिटाई की। इस घटना की रात को पैसों के मामले में विवाद के दौरान ही उसने हेमप्रभा को गला दबाकर हत्या कर दी थी और अपने रिश्तेदारों को बिना बताए हेमप्रभा को बीमार बताकर एंबुलेंस से अस्पताल ले गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत्यु घोषित कर दी। हेमप्रभा ने पहले ही मौत के बाद शव दान करने की घोषणा पत्र भर दी थी, जिसका उपयोग करके आरोपी ने शव को मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया।

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