मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इंफाल शहर में फिर से भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई है। बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचंदपुर जिले के कंगवई में गोलीबारी हुई है। इंफाल में महल परिसर के पास इमारतों को आग लगाने के लिए 1,000 लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई, जिस पर राष्ट्रीय राष्ट्रीय सुरक्षा बल ने आंसू गैस के गोले चलाए और रबर की गोलियां भी चलाईं। इसी बीच बीजेपी के सहयोगी दल, नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) ने हालात न सुधरने पर गठबंधन तोड़ने की चेतावनी दे दी है।
मणिपुर में लगभग डेढ़ महीने से हिंसा जारी है। विभिन्न प्रयासों के बावजूद हालात काबू में नहीं हो पा रहे हैं। इस बीच, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वाई जॉयकुमार सिंह ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि आगामी दिनों में स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो हम अपने बीजेपी के साथ गठबंधन पर फिर से विचार करेंगे। एनपीपी को मजबूर होना पड़ेगा कि वे अपने संदर्भ में पुनः सोचें, और हम मौन दर्शक नहीं बन सकते।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में अनुच्छेद 355 लागू है, जिसके अनुसार यहां के लोगों की सुरक्षा राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन हिंसा से निपटने के लिए कोई उचित योजना तैयार नहीं की जा रही है। वर्तमान में हालातों में कोई सुधार का संकेत नहीं दिख रहा है। प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के घर पर भीड़ ने हमला किया है, और उनके घर में बम फट गया है। आज आरके रंजन को निशाना बनाया जा रहा है और कल सभी विधायक, बीजेपी के मंत्री और सहयोगी दलों को निशाना बनाया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बावजूद हालात में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है। पार्टी अभी भी संकट में है और लोग सवाल पूछ रहे हैं। मणिपुर में वर्तमान में दोहरा नियंत्रण है। राज्य और केंद्र सरकार में यह अनिश्चय की स्थिति है कि किसका नियंत्रण है, और
उन्होंने कहा कि हमने सीएम को अपना ज्ञापन सौंप दिया है कि क्या कदम उठाने की जरूरत है। मामले को शुरुआत में ही बेहतर तरीके से हैंडल करना चाहिए था। प्रतिक्रियाशील होने के बजाय, सुरक्षा बलों को सक्रिय करने की जरूरत थी। एक उचित योजना तैयार करने की आवश्यकता है। हम विचार करेंगे कि क्या हमें गठबंधन में बने रहना चाहिए या विपक्ष के साथ जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार को संवेदनशील क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देना चाहिए था। बलों में कोई कमी नहीं है, फिर भी हाईवे खोलने के संबंध में कोई कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है। शांति समिति एक बच्चे की तरह है। मनोनीत सदस्यों ने बताया है कि वे समिति का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। शांति समिति की कुल 51 सदस्य हैं, जो एक बहुत बड़ी संख्या है।
‘सेना और RAF ने संभाला मोर्चा’
भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की, हालांकि, आरएएफ ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। वहीं, सिंजेमाई में आधी रात के बाद भीड़ ने बीजेपी कार्यालय को घेर लिया, लेकिन कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकी। यहां सेना के एक दल ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। इसी तरह, इंफाल में पोरमपेट के पास आधी रात में भीजेपी (महिला विंग) की अध्यक्ष शारदा देवी के घर में भीड़ ने तोड़फोड़ करने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने युवकों को खदेड़ दिया।
हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा की जान गई
मणिपुर में एक महीने पहले मैतेई और कुकी समुदाय के बीच झड़पें और फिर भड़की थी। इस जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। यहां मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग कर रहा है, इसके विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं।
11 जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट भी बंद
वास्तव में, मणिपुर में मैतई की आबादी करीब 53 प्रतिशत है। इनकी अधिकांशता इंफाल घाटी में निवास करती है। आदिवासी-नागा और कुकी-आबादी भी इसका 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और वे पहाड़ी जिलों में बसे हुए हैं। राज्य सरकार ने अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए 11 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।