कोरबा: एसईसीएल के कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित एक ग्रामीण ने प्रबंधन के खिलाफ विरोध करते हुए अपनी जान देने का फैसला किया था, जिसके पश्चात उन्होंने पिछले दिनों जहरीले पदार्थ का सेवन किया। ग्राम चंद्रनगर के निवासी दिलहरण पटेल द्वारा लिया गया यह आत्मघाती कदम उनके उपचार के दौरान शुक्रवार रात को मौत के कारण हो गई।
स्वजनों को दुःख की लहर ने अपनी तूफानी छाप छोड़ दी है। इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार माना जा रहा है। दिलहरण के पुत्र मुकेश कुमार ने बताया कि एसईसीएल ने उनके घर का सर्वे किया था और कहा गया था कि उन्हें काम मिलेगा। लेकिन बाद में न तो काम दिया गया और न ही मुआवजा दिया गया।
एसईसीएल के इस आचरण के कारण जीवन यापन अत्यधिक कठिन हो गया है। इन कठिन परिस्थितियों में परेशान होकर दिलहरण ने जहरीले पदार्थ का सेवन किया था। दिलहरण द्वारा उठाए गए आत्मघाती कदम और मौत के बाद अब यह सवाल उठा है कि क्या प्रबंधन के अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज किया जाएगा, जिनके कारण उसे हताशा में धकेला गया और जिनके प्रति वह आत्महत्या करने के लिए प्रेरित और मजबूर हुआ था। क्या उस तरह के गैर-जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी जो मौत के लिए निर्देशित या अनिर्देशित रूप से जिम्मेदार हैं और उसे आत्महत्या करने के लिए प्रेरित और मजबूर किया गया था।
आखिर क्यों उसे जमीन के एवाज में कोई भी काम और मुआवजा राशि देने में विलंब किया गया, इस सवाल का कारण क्या है? क्यों नहीं भूमि अर्जन के तत्काल बाद ही मुआवजा के मामले तुरंत निपटाए जाते हैं?