छत्तीसगढ़ की शराब दुकान से जुड़ा एक नई किस्म का घोटाला सामने आया है। राजधानी रायपुर की एक दुकान से शराब की बोतल खरीदने के बाद ग्राहक के होश उड़ गए, क्योंकि शराब की बोतल के बॉक्स पर MRP रेट से ऊपर कीमत बढ़ाकर अलग रेट का स्टिकर चिपका था। ग्राहक से ऊपर चिपके गए रेट के पैसे लिए गए। जब घर आकर ग्राहक ने स्टिकर हटाया, तो बोतल पर नीचे शराब की असली कीमत काफी कम छपी हुई थी।
यह गड़बड़ी रायपुर के तात्यापारा में स्थित प्रीमियम लिकर शॉप से जुड़ी है। एक ग्राहक ने यहीं से सोलन ब्रैंड नेम की शराब खरीदी। इसके बॉक्स पर प्रिंट रेट के अतिरिक्त बढ़े हुए दाम का एक स्टिकर लगा था। आमतौर पर शराब के शौकीन जल्दबाजी में बारीक स्टिकर पर ध्यान नहीं दे पाते और इसका फायदा दुकानदार उठा रहा है।
शराब की बोतल पर असली रेट 750 रुपये लिखा था और स्टिकर पर 920 रुपये का दाम था। ग्राहक से लगभग 170 रुपये अधिक वसूले गए एक बोतल पर। इस तरह के हजारों बोतलें दुकान पर बिकी होंगी और न केवल एक दुकान से, बल्कि पूरे प्रदेश में हजारों दुकानों से ऐसी बोतलें बेची जा सकती हैं, और लोगों ने अधिक राशि दे दी होगी।
क्वालिटी के मुताबिक रेट नहीं
शराब के शौकीन इस बात की रिपोर्ट कर रहे हैं कि वर्तमान में रायपुर सहित प्रदेशभर की दुकानों में उपलब्ध शराब की क्वालिटी बेहद निचले स्तर की है। इन शराब की बोतलों की जगह, महंगी विदेशी ब्रांडेड शराब की कीमत उचित बना रही है। यहां पीने वालों को उच्च कीमत देने के मुकाबले शराब की क्वालिटी अच्छी नहीं लग रही है।
क्या कहते हैं अफसर
जिला आबकारी अधिकारी अरविंद पटले को दैनिक भास्कर ने बताया कि शराब बेची जा रही है जिस पर प्रिंट रेट से अधिक का स्टिकर लगाया गया है। इस मामले पर अरविंद पटले ने कहा कि शराब की बोतल के दाम में बदलाव हो सकता है या फिर दाम बढ़ा दिया गया हो सकता है, हम इसे जांचेंगे। कंपनियां दाम में बदलाव होने पर स्टिकर लगा सकती हैं, इसलिए ऐसा हुआ होगा।
आबकारी विभाग के अधिकारियों के दावों को माने जाने के बावजूद, शराब प्रेमियों को यह समस्या है कि वे स्टिकर को भ्रम में रखकर कीमत का भुगतान करने के समान ही महसूस कर रहे हैं। अगर कीमत बढ़ा दी गई है तो पुराने स्टॉक के रेट पर नया दाम क्यों वसूला गया? ऐसे में स्टॉक को रोककर रेट बढ़ने का इंतजार किया जा सकता है और फिर उसे बेचा जा सकता है। अगर रेट में परिवर्तन हुआ है, तो छोटे स्टिकर लगाने की बजाय स्टॉक के रेट को ठीक से अपडेट किया जा सकता है। यह आवश्यक है क्योंकि आबकारी विभाग को राजस्व में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
वैध तरीके से बिकती है 5525 करोड़ की शराब
शराब दुकानों में असल रेट पर स्टिकर लगाकर शराब की बिक्री के मामले को किनारे भी कर दिया जाए, तो भी प्रदेश में लगभग साल भर में हजारों करोड़ रुपये की शराब बिकती है। विधानसभा के अंतिम सत्र में शासन द्वारा बताया गया है कि साल 2022-23 में 5,525 करोड़ रुपये की शराब बिकी है। 2019-20 में 4,952 करोड़, 2020-21 में 4,636 करोड़, 2021-22 में 5,110 करोड़ रुपये की वैध तरीके से बिक चुकी है।
शराब दुकानों का स्टॉक गड़बड़ाया
रायपुर शहर में कई शराब दुकानों में ब्रांडेड शराब उपलब्ध नहीं हो रही है। पिछले कई महीनों से वह प्रसिद्ध ब्रांड जो पहले उपलब्ध थी, अब शराब की दुकानों में नहीं मिल रही है। आबकारी विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि इसका कारण बेवरेज कॉरपोरेशन के पास शराब की संपत्ति की कमी होने के कारण ऐसा हो रहा है। एफएल l0 लाइसेंस के एग्रीमेंट को कई कंपनियों के साथ सम्पन्न नहीं किया जा सका है। इसलिए उन कंपनियों की शराब दुकानों तक पहुंचने में असमर्थता आ रही है। अब इस समस्या का समाधान सरकारी स्तर पर होना चाहिए, जो वर्तमान में अटका हुआ है। विचार-विमर्श हो रहा है कि प्रदेश में ईडी की कार्रवाई के कारण लाइसेंस प्रक्रिया पर असर पड़ा है।
दो हजार करोड़ के शराब घोटाले का दावा
प्रदेश में पिछले 1 महीने से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शराब घोटाले की जांच की जा रही है। निदेशालय ने बताया है कि इस घोटाले में कुछ शराब कारोबारियों और आबकारी विभाग के अधिकारियों का साझा हाथ है। इस मामले में कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लो, नितेश पुरोहित और आबकारी विभाग के स्पेशल सेक्रेट्री एपी त्रिपाठी जेल में हैं। इस मामले की सुनवाई आने वाले 2 जून को रायपुर की अदालत में होनी है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि इस संबंध में सरकारी दुकानों से बेची जाने वाली शराब में बड़ी कमीशन खोरी की गई है।