भिलाई दुर्ग जिले में इन दिनों शासकीय शराब दुकानों से ब्रांडेड कंपनियों की शराब और बीयर लगभग गायब हो चुकी है पिछले 20-25 दिनों से जिले के सभी शासकीय दुकानों में ब्रांडेड कंपनियों की ना ही शराब मिल रही है और ना ही बीयर इसी कारण शराब के शौकीनों को मजबूरी में ब्रांडेड छोड़कर लोकल ब्रांड की शराब से ही काम चालाना पड़ रहा है इन दिनों भिलाई- दुर्ग के सरकारी दुकानों में स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय शराब का टोटा बना हुआ है। इसे शराब कारोबारियों व ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ ईडी की कार्रवाई का असर मना जा रहा है जिनके पास लाइसेंस है वे ईडी की जांच के घेरे में हैं। इस वजह से शराब के बड़े कारोबारी न तो लाइसेंस ले रहे हैं और न ही उसका नवीनीकरण करवा रहे हैं। लिहाजा अप्रैल से ही आबकारी विभाग द्वारा संचालित दुकानों में रॉयल चैलेंजर्स, रॉयल स्टेग, ब्लेंडर प्राइड, सिग्नेचर, ओल्ड मंक व हण्ड्रेड पाइपर आदि ब्रांड की शराब गायब है |
यहां तक की प्रीमियम शॉप में भी अच्छे ब्रांड की शराब गायब बताई जा रही है जबकि भिलाई दुर्ग में इन सभी ब्रांड की डिमांड ज्यादा बनी हुई है इस आबकारी अधिकारी से बात करने फोन लगाया गया तो उनको फोन बंद बताया गया पड़ोसी राज्यों से हो रही शराब की तस्करी सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक अवैध शराब की बिक्री भिलाई में ही हो रही है तस्करों द्वारा ओडिशा व महाराष्ट्र से चोरी छिपे शराब लाकर स्थानीय स्तर पर खपाया जा रहा है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश से सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर हजारों पेटी अंग्रेजी शराब तस्करों के द्वारा लाया जा रहा है मध्यप्रदेश में शराब का व्यवसाय ठेका पद्धति से चल रहा है बताते हैं ठेकेदारों की आपसी प्रतिद्वंदिता के चलते तस्करों की वास्तविक से काफी कम कीमत में शराब की पेटियां उपलब्ध कराया जाता है कम कीमत में मध्यप्रदेश की शराब लाकर भिलाई- दुर्ग में कोचियों के जरिए खपाने से अवैध कारोबारियों को काफी अधिक मुनाफा हो रहा है |