‘कटहल’ फिल्म समीक्षा: सरकारी तंत्र को चिढ़ाने वाली है इस ‘कटहल’ फिल्म की खोज, सोसाइटी के लिए महत्वपूर्ण संदेश।

‘कटहल’ फिल्म समीक्षा: ‘कटहल’ का नाम सुनते ही अपने मन में फल-सब्जी, खाना या रेसिपी से जुड़ी तस्वीर उभरती है। जब नेटफ्लिक्स ने इस फिल्म की घोषणा की, तब हम सोचते थे कि यह किसी पकवान पर आधारित कहानी होगी, लेकिन वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग है। यद्यपि शीर्षक कटहल है, परंतु कहानी का सार विभिन्न है।

हमने अक्सर खबरों में सुना या पढ़ा है कि पुलिस स्टेशन में अजीबो-गरीब मामलों की दर्ज़ होती हैं। सोचिए, अगर किसी के घर से कटहल चोरी हो जाए और वह मामला पुलिस तक पहुँचे, तो क्या होगा? ऐसा सुनने में अटपटा लगता है कि कोई फल की चोरी पर शिकायत कर सकता है। उत्पन्न हुए इसी प्रकार के एक कटहल चोरी के मामले ने उत्तर प्रदेश के काल्पनिक शहर मोबा में हड़कंप मचा दिया है। पुलिस ने चोरी की जांच में पूरी ताकत लगा दी है। अब आगे क्या होगा, यह जानने के लिए इस समीक्षा को पढ़ें।

कहानी

उत्तर प्रदेश के मोबा में एक घटना घटती है, जिसमें विधायक विजय राज के आलीशान घर से दो बड़े कटहल चोरी हो जाते हैं। चोरी से विचलित होकर विधायक पुलिस को बुलाकर मामले की जांच करने के लिए कहते हैं। इस काम के लिए पुलिस इंस्पेक्टर महिमा बसोरन (सान्या मल्होत्रा) और उनकी टीम को नियुक्त किया जाता है। उनको ताजगी रखते हुए वे जल्द से जल्द कटहल ले आएंगे और चोर की पहचान भी करेंगे।

इसी बीच, एक गरीब और लाचार माली अपनी बेटी की हरकतों की रिपोर्ट दर्ज करवाने पुलिस स्टेशन आता है। लड़की की किडनैपिंग की रिपोर्ट को देखते हुए पुलिस टीम तुरंत कटहल चोरी के मामले में अधिक मायने देने के लिए काम करने लगती है। वहीं साथ में मीडिया भी इस मामले को अपने चैनल पर प्रकाशित करने के लिए प्रयासरत होता है। स्थानीय पत्रकार अनुज (राजपाल यादव) भी अपने चैनल की टीआरपी के लिए इस मामले को मुद्दा बनाने के लिए प्रयासरत है।

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