म्यूचुअल फंड्स के पास बगैर दावे के लगभग 2,500 करोड़ रुपए के डिविडेंड और यूनिट्स हैं। म्यूचुअल फंड्स के संगठन (एम्फी) के मुताबिक, इसमें से लगभग 1,600 करोड़ रुपए बगैर दावे वाले लाभांश और शेष बिना दावे से जुड़ी बिकवाली से संबंधित हैं।
एम्फी के सीईओ एन एस वेंकटेश ने बताया कि संगठन ने इसे सुनिश्चित करने के लिए बाजार नियामक सेबी के साथ लगातार काम किया है कि यह राशि सही मालिकों के हाथों में पहुंच जाए। उन्होंने कहा, “सेबी ने एम्फी को इसे सुनिश्चित करने के लिए सलाह दी है कि निवेशक या उनके नॉमिनी या वारिस तक यह पैसा पहुंच जाए। हम इस संबंध में सेबी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आशा है कि यह आंकड़ा निकट भविष्य में काफी कम हो जाएगा.” वेंकटेश ने बताया कि फंड हाउस इन निवेशकों से ई-मेल आईडी और पैन संख्या के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है।
कंडीशन : बगैर दावे की राशि इन सूरतों में
म्यूचुअल फंड के पास पड़ी रकम ऐसी सूरत में बिना दावे की मानी जाती है, जब फंड हाउस ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से निवेशकों को लाभांश और रिडेम्प्शन पेमेंट करने में विफल रहता है। इसका एक कारण संबंधित बैंक खातों का बंद होना भी हो सकता है। सेबी के नियमों के मुताबिक, ऐसी राशि छोटी अवधि की डेट स्कीम्स में रखी जाती है, जैसे लिक्विड या ओवरनाइट।
अनुमान : बैंकों में भी बिना दावे के 35,000 करोड़ रुपए
बिना दावे की सेविंग और निवेश, म्यूचुअल फंड के साथ-साथ सभी बैंकों और इन्वेस्टमेंट स्कीम्स के लिए एक बड़ी समस्या है। पिछले महीने सरकार ने सरकारी बैंकों के पास लगभग 35,000 करोड़ रुपए की एक विशाल रकम बिना दावे के जमा होने का अनुमान लगाया था।