स्मृति नगर में 60 लाख से अधिक की चोरी के मामले में दुर्ग पुलिस ने दो बांग्लादेशी आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों ने भारतीय सीमा की सुरक्षा के बारे में बड़ा खुलासा किया है। उनके मुताबिक वे बॉर्डर की तार काटकर सीमा पार करते हैं और फिर पश्चिम बंगाल में जाकर महज 1500 रुपए में आधार कार्ड बनवाते हैं जिससे वे भारतीय पहचान ले लेते हैं। फिर वे पूरे देश में घूम-घूमकर चोरी करते हुए वारदातों को अंजाम देते हैं।
मदारीपुर जिले के होसाईपुर थाना राजौर के निवासी मो. हसमत खलीफा (22 साल) और दक्षिण विद्यानंदी थाना राजौर के निवासी अलताफ हुसैन (35 साल) को पश्चिम बंगाल के जिला बरईपुर से स्मृति नगर चोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी लोगों का निवास अब पिछले चार महीनों से यहां एक दूसरे नाम से रहने का खुलासा किया गया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के भिलाई में हुई चोरी को भी स्वीकार किया है।
जब एसपी ने हसमत से पूछा कि वह बांग्लादेश से भारत कब आया था, तब उसने बताया कि वह 4 महीने पहले भारत आया था। उसने बताया कि भारत आने के लिए दलाल को प्रति व्यक्ति 5 हजार रुपए देना होता है। इसके बाद वह बॉर्डर की तार को काट देता है और इन लोगों को नीचे से निकलकर भारत-बांग्लादेश सीमा को पार करने देता है। फिर वे पश्चिम बंगाल पहुंचते हैं और 1500 रुपए में नई पहचान बनवा लेते हैं। इन आरोपियों ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठाया है।
एक चोरी के गिरोह में 12 लोग शामिल हैं
आरोपी ने बताया कि उन लोगों का 12 लोगों का गिरोह है। वे पिछले 15 सालों से चोरी का काम करते आ रहे हैं। इनका मास्टर माइंड गोकुल निषाद है। वह हिंदी भी जानता है। उसके इशारे पर ये लोग चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं। ये लोग अब तक भारत के कई राज्यों में बड़ी-बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। दुर्ग पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में भी जुटी हुई है।
आरोपी ताला तोड़ने के लिए हथियार को अपने तकिये के नीचे रखकर सोता था
दुर्ग पुलिस ने अलताफ हुसैन से लोहे से बना एक विशेष हथियार जब्त किया है। यह हथियार उनके पास ताकत के घरों या अन्य बड़े तालों को तोड़ने के लिए उपयोग में आता था। पुलिस ने आरोपी के पास से फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट और नकद रुपए भी जब्त किए हैं।
ये व्यक्ति बिना वीजा के भारत में रह रहे थे
ये लोग अपने परिवार के साथ बिना वीजा के भारत आए हुए हैं और बॉर्डर के रास्ते भी गुजर चुके हैं। इन्होंने बिना वीजा के बंगाल में किराए का मकान लेकर रहा है। यह संभवतः सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए थे। भारत की इतनी बड़ी सुरक्षा में भी इन लोगों को पकड़ने में बंगाल पुलिस असफल रही है।
९ महीने तक माल्टा की जेल में सज़ा काट चुका है
मो. हसमत ने भारत में चोरी करके बहुत सारा पैसा इकट्ठा कर लिया था। उसके बाद वह यूरोप घूमने गया था। वहाँ लीबिया पुलिस ने उसे गैरकानूनी काम करते पकड़ लिया। इसके बाद आरोपी को 9 महीने तक माल्टा की जेल में बंद रखा गया। उसके बाद वहाँ से छूटकर फिर से भारत आया और फिर से चोरी करना शुरू कर दिया।
हवाला के जरिए पैसे भेजे जाते थे
आरोपी बताते हैं कि वे अपने परिवारजनों के पास पैसा भेजने के लिए हवाला के जरिए बांग्लादेश से भारत में धन प्रेषित किया करते थे। वे हवाला दलाल को भारतीय रुपए देते थे और दलाल 20 प्रतिशत कमीशन काटकर शेष राशि को बांग्लादेशी करेंसी में उनके बताए गए पते पर पहुंचा देता था।