रायपुर. जिनकी अंगुली पकड़कर चलना सीखा। (Chhattisgarh news) जिन्होंने पढ़ाने-लिखाने और परवरिश करने में कोई कमी नहीं आने दी। अपनी परवाह न कर उसकी खुशी और तरक्की के लिए हमेशा कामना की। उस बेटे ने उम्र के आखिर पड़ाव में सेवा करने की बजाय माता-पिता को घर से निकाल दिया और घर पर कब्जा कर लिया। इन सब से तंग व परेशान बुजुर्ग दंपती जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की शरण में पहुंचे। जहां न्याय मिला तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। प्राधिकरण ने न केवल बुजुर्ग को घर की चाबी सौंपी, बल्कि बेटे को 15 हजार रुपए हर महीने भरण पोषण राशि देने के आदेश दिया है
रायपुर के अमरदीप टॉकीज रोड स्थित मकान में भगवान दास शर्मा (94) अपनी पत्नी चमेलीदेवी शर्मा (82) वर्ष के साथ रहते थे। इस घर पर कब्जा करने की नीयत से उनके पुत्र श्याम सुंदर शर्मा ने अपने पिता से विवाद कर एक वर्ष पहले घर से निकाल दिया। जानकारी मिलने पर पुरानी बस्ती में रहने वाली उनकी बेटी अपने घर ले गई। बुजुर्ग ने इसकी शिकायत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से की। जहां लिखित आवेदन में बताया कि उनके बेटे ने घर से निकाल दिया है। साथ ही उनका पालन पोषण नहीं किया जा रहा है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश संतोष शर्मा ने मामले को तुरंत संज्ञान लेते हुए प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा को त्वरित कार्यवाही करने का निर्देश दिया। प्रकरण की सुनवाई करने के लिए लीगल पैनल अधिवक्ता एवं पैरालीगल वालेंटियर आशुतोष तिवारी को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई।
बुजुर्ग ने मेहनत से खरीदा था घर, ये पैतृक संपत्ति नहींबुजुर्ग के आवेदन को करूणा योजना के तहत रजिस्टर करते हुए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पक्ष रखा गया। साथ ही कोर्ट को बताया कि बुजुर्ग दंपती ने अपने पैसों से घर खरीदा था। यह पैतृक संपत्ति नहीं है। जीवन के अंतिम पड़ाव में बच्चों का कर्तव्य होता है कि वह माता-पिता की सेवा करें। वहीं कोर्ट में बुजुर्ग के पुत्र द्वारा कोई ठोस और संतोषजनक जवाब नहीं देने पर घर की चाबी लौटाने और प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता देने का आदेश दिया।