खंबे लगा कर कनेक्शन दिए, पर सौर ऊर्जा से रोशन हो रहा गांव, परंपरागत बिजली पहुंच से दूर…|

खंबे लगा कर कनेक्शन दिए, पर सौर ऊर्जा से रोशन हो रहा गांव, परंपरागत बिजली पहुंच से दूर

कोरबा। ग्राम पंचायत बारी उमराव में अब तक लोग परंपरागत बिजली की सुविधा से वंचित हैं। गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने और लोगों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से बिजली कंपनी ने खंबे लगाने से लेकर उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने तक की कार्रवाई की, लेकिन यहां के लोग अभी भी केवल सौर ऊर्जा पर निर्भर हैं। मौजूदा स्थिति में लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि बिजली कंपनी ने उनके गांव में खंबे और मीटर लगाने का काम आखिर किस कारण किया।

कोरबा जिला केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पावर हब के रूप में पहचान बना चुका है। यहां छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिसिटी पावर जेनरेशन कंपनी की तीन परियोजनाएं चल रही हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की कोरबा परियोजना भी यहां संचालित हो रही है।

इनके द्वारा उत्पादित बिजली से छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों को रोशनी मिल रही है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कोरबा जिले के कई गांव अब भी बिजली से वंचित हैं। यह स्थिति ‘दिया तले अंधेरा’ वाली कहावत को सही साबित करती है। जिला मुख्यालय से 57 किलोमीटर दूर पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत बारी उमराव में बिजली की समस्या अजीबोगरीब बनी हुई है, जबकि स्वाधीनता के 75 साल और छत्तीसगढ़ के गठन के 24 साल बाद भी यहां बिजली नहीं पहुंच पाई है।

छत्तीसगढ़ के पावर हब जिले का यह गांव आज भी बिजली की सुविधा से कोसों दूर है। इस गांव की लगभग 500 की आबादी परंपरागत बिजली की सुविधा का केवल सपना देख रही है। लोग सिर्फ इसी बात से संतोष कर रहे हैं कि उनके गांव में सात साल पहले बिजली के खंभे लगाए गए और उपभोक्ताओं को कनेक्शन भी दिए गए। ग्रामीणों ने उम्मीद की थी कि उनके क्षेत्र भी दूसरे इलाकों की तरह बिजली से रोशन होंगे, लेकिन यह सब दिवास्वप्न साबित हुआ।

कुछ मोहल्लों में दिखी रोशनी

इस गांव के निवासियों ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनी के ठेकेदार ने कई साल पहले उनके यहां बिजली के खंभे और लाइनें बिछाकर मीटर लगा दिया था, लेकिन बिजली आज तक नहीं आई। कुछ मोहल्लों में महीने में एक या दो बार कुछ घंटों के लिए बिजली आती है, जबकि कुछ मोहल्लों में आज तक बिजली नहीं पहुंची। बिना बिजली के ही विद्युत विभाग द्वारा भारी-भरकम बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं। शुक्र है कि ग्रामीणों ने अपनी समझदारी से सरकारी तंत्र पर दबाव बनाकर यहां सौर ऊर्जा की व्यवस्था कर ली, जिससे उनके घरों में रोशनी हो रही है और उनकी सामान्य जरूरतें पूरी हो रही हैं।

एक्टिव नहीं हुआ बीएसएनल टावर

संचार क्रांति के तहत कई प्रकार की कोशिशें की जा रही हैं। इसी के अंतर्गत भारत संचार निगम लिमिटेड ने इस गांव में सुविधा देने और मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए टावर तो खड़ा कर दिया, लेकिन वह केवल शोपीस बनकर रह गया है। स्थानीय लोग दूसरी कंपनियों से मिलने वाले नेटवर्क के सहारे ही मोबाइल का उपयोग कर पा रहे हैं। यहां के बच्चे मोबाइल की टॉर्च से पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिकायतों के बावजूद विद्युत विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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