रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला: अंतर-राज्यीय कोयला और भस्मिक उत्पादन कंपनी के साथी अनवर ढेबर, जिनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले में जिल जेल में रेमांड पर रखा है। उन्हें आठ महीने पहले ही जमानत मिली थी। इसी मामले के दूसरे आरोपी ट्रांसपोर्टर अरविंद सिंह को जेल से छूटते ही ACB ने उन्हें फिर से गिरफ्तार किया और उन्हें गुरुवार को न्यायिक प्रक्रिया के लिए निधि शर्मा तिवारी की कोर्ट में पेश किया।
एसीबी ने जांच के लिए आवेदन पेश किया और दस अप्रैल तक रिमांड की मांग की। एसीबी-ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट ने चार दिन के लिए, यानी आठ अप्रैल तक रिमांड को मंजूरी दी और उसे एसीबी को सौंप दी। मंगलवार को उच्च न्यायालय ने अरविंद को जमानत दे दी थी। लगभग 10 महीने पहले, उसे ईडी ने दुर्ग से गिरफ्तार किया था।
शराब घोटाला: चार दिन की रिमांड पर ट्रांसपोर्टर अरविंद सिंह
एसीबी की ओर से जानकारी दी गई कि आबकारी घोटाले में ब्यूरो में दर्ज 7,12 भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 420, 467, 468, 471, 120 बी केस की विवेचना के लिए अवंती विहार निवासी भिलाई स्टील प्लांट में यार्ड मास्टर के पद पर कार्यरत रहे अरविंद को गिरफ्तार किया गया है और पूछताछ के लिए कोर्ट से चार दिन की रिमांड पर लिया गया है।
इधर, गिरफ्तार अनवर ढेबर के स्वजन शाम उससे मिलने एसीबी कार्यालय पहुंचे। तीनों मास्टर माइंड एफआईआर में दर्ज ईओडब्ल्यू में आइएएस अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को घोटाले का मास्टर माइंड बताया गया है।
एफआइआर में शामिल आइएएस और अन्य अफसर तथा कुछ और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। घोटाले से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। जब यह घोटाला हुआ, तब टुटेजा वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे।