जगदलपुर, छत्तीसगढ़: बस्तर, छत्तीसगढ़ क्षेत्र में नक्सलवादी समस्या के बीच, वहां सुरक्षा बल द्वारा लोकतंत्र के यज्ञ की तैयारी का संचालन किया जा रहा है। इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ और तेलंगाना-आंध्रप्रदेश की सीमा के पास स्थित दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है। हाल के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में नक्सलवादियों ने भाजपा के प्रति तीव्र विरोध दिखाया। इसके दौरान, भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमलों और हत्या की घटनाएं घटित हुईं और एक भयानक वातावरण बनाने का प्रयास किया गया।
नक्सलियों के इस प्रभावशील क्षेत्र में बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीटें स्थित हैं, और इन दोनों सीटों पर भाजपा को करीबी अंतर से हानि हुई है। अब प्रदेश में भाजपा को सत्ता का कंधा मिलते ही, एक महीने के भीतर 11 सुरक्षा बल के कैंप की स्थापना के माध्यम से नक्सलियों के इस गढ़ को पराजित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है।
बीजापुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के वाहन को कुछ वर्ष पहले नक्सलियों ने विस्फोट से उड़ाया था, लेकिन उन्होंने उस हमले से बच गए थे। गागड़ा बताते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले बस्तर में नक्सलियों ने भाजपा नेताओं को लक्षित कर हत्या की। इसके परिणामस्वरूप, विधानसभा के अंदरूनी क्षेत्र में भाजपा को प्रचार करने की अनुमति नहीं दी गई।
इसके बाद भी नगरीय क्षेत्र में भाजपा को भारी बहुमत मिला, लेकिन नक्सलियों के दबाव में अंदरूनी क्षेत्र में हुए मतदान ने चुनाव को प्रभावित किया है। कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि यह सब किनके इशारे पर हो रहा था। वे मानते हैं कि डबल इंजन की सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर में शांति की स्थापना शीघ्र कर ली जाएगी।
40 वर्ष बाद नक्सलतंत्र पर कसा नकेल
बस्तर में नक्सलियों के सबसे ताकतवर गढ़ में 40 वर्ष बाद नक्सलतंत्र पर नकेल कसी जा रही है, जहां 1980 से नक्सलियों का कब्जा था। इस क्षेत्र से ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व छत्तीसगढ़ में नक्सल आंदोलन का संचालन करता था। सुरक्षा बल ने पिछले डेढ़ माह में सुकमा जिले में नक्सल संगठन दक्षिण बस्तर डिविजनल कमेटी के ताकतवर गढ़ों, पड़िया, मूलेर, सातालोंग, मुर्कराजबेड़ा और दुलेड़ के बाद टेकुलगुड़ेम में कैंप स्थापित किया है। बीजापुर में पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी के गढ़ में डुमरीपालनार, पालनार, चिंतावागु, मुतवेंडी, और कावड़गांव में पहली बार सुरक्षा बल ने अपनी पहुंच बनाई है।
मुख्यमंत्री कह चुके तेज होगा अभियान
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने टेकुलगुड़ेम हमले के बाद कहा है कि नक्सलियों से सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार कैंप खोलकर नक्सलवाद के समूल सफाया करने की बात की है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी यह बताया है कि नक्सली हथियार छोड़ेंगे तभी वार्ता होगी, वरना नक्सलियों के खिलाफ कड़ाई से अभियान चलाया जाएगा।
2023 में नक्सलियों ने की थी भाजपा नेताओं की हत्या
– 5 फरवरी, नीलकंठ कक्केम, बीजापुर
– 10 फरवरी, सागर साहू, नारायणपुर
– 11 फरवरी, रामधर अलामी, दंतेवाड़ा
– 29 मार्च, रामजी डोडी, नारायणपुर
– 21 जून, अर्जुन काका, बीजापुर
– अक्टूबर, बिरझु तारम, राजनांदगांव
– 4 नवंबर, रतन दुबे, नारायणपुर
– 9 दिसंबर कोमल मांझी, नारायणपुर