रायपुर। छत्तीसगढ़ में हिमालयी गिद्ध: जंगल सफारी के बाद दुर्लभ हिमालयी गिद्ध का इलाज होने के बाद, अब अचानकमार टाइगर रिजर्व में उसे छोड़ने की तैयारी कर ली गई है। क्योंकि अचानकमार में अभी गिद्ध संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है।
जंगल सफारी के प्रबंधक ने बताया कि 15 जनवरी को मोहला वन मंडल क्षेत्र के एक खेत से एक दुर्लभ हिमालयी गिद्ध को ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग ने रेक्स्यू किया था। इसके बाद उसे इलाज के लिए जंगल सफारी में लाया गया। उस समय गिद्ध कुछ खा नहीं पा रहा था और उड़ भी नहीं पा रहा था। लेकिन अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। वह अब 500 ग्राम मटन खा रहा है और उड़ने का प्रयास भी कर रहा है।
छत्तीसगढ़ में पहली बार नजर आया दुर्लभ हिमालयन गिद्ध
पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रजाति के गिद्ध हिमालय पर्वत श्रृंखला की ऊंची चोटियों एवं घाटियों में पाए जाते हैं। यह पहली बार छत्तीसगढ़ में देखा गया है। इसकी उड़ने की क्षमता आसमान में 20 हजार फीट की ऊंचाई से अधिक होती है। गिद्ध की यह प्रजाति विलुप्तप्राय है। फिलहाल, जंगल सफारी के प्रबंधक ने गिद्ध को छोड़ने के लिए बड़े अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।
निर्देश मिलने पर अचानकमार टाइगर रिजर्व में गिद्ध को तुरंत छोड़ा जाएगा। वहां पहले से ही गिद्ध संरक्षण का कार्य प्रगट है, जिससे उसकी अच्छी देखभाल हो सकेगी। हिमालयन गिद्ध हल्के भूरे रंग के होते हैं। इसका सिर सफेद होता है, पंख काफी बड़े होते हैं, और पूंछ छोटी होती है। इसकी गर्दन पर सफेद पंख होते हैं और चोंच पीले रंग की होती है। साथ ही, इसके शरीर का रंग हल्का सफेद होता है। इसकी आयु 15 से 18 वर्ष तक होती है।
वन्यजीव चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि यह हिमालयी गिद्ध संभावित रूप से छत्तीसगढ़ में पहली बार दर्शन किया गया है। इसकी उम्र लगभग दो साल की है। गिद्ध नर है और वह वर्तमान में पूरी तरह स्वस्थ है। बड़े अधिकारियों के मार्गदर्शन के बाद, इसे अचानकमार टाइगर रिजर्व में त्यागा जाएगा।