बिलासपुर समाचार: दुर्गा पूजा उत्सव का इतिहास बिलासपुर में स्वर्णिम रहा है। शक्ति की भक्ति में पूरा शहर जुट जाता है। पहली बार यहां बंगाली परंपरा से उत्सव की शुरुआत 100 साल पहले हुई थी, जिसमें हरि सभा का महत्वपूर्ण योगदान था। 42 वर्षों तक मां दुर्गा की प्रतिमा पश्चिम बंगाल के कुमारटुली से बिलासपुर तक 805 किमी की दूरी मालगाड़ी से पार करती थी। इस साल, रेलवे कालो
नवरात्र-दुर्गा उत्सव के अवसर पर, राज्य से लेकर देशभर से श्रद्धालु, भक्त, और पर्यटक बिलासपुर आते हैं। यह पर्व देवी आराधना का महाउत्सव बन जाता है। रेलवे परिक्षेत्र के बंगाली स्कूल में दुर्गा उत्सव का अपना विशेष महत्व है। यह पूजा 100 साल से निरंतर जारी है और इस साल समिति शताब्दी वर्ष के रूप में मनाने की योजना बना रही है। इस अवसर पर, मां काली के मंदिर में आकर्षक विद्युत साज सज्जा की जा चुकी है, और पंडाल निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
इतिहास में खास
बंगाली समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि साल 1923 से पूजा का आayंजन होना शुरू हुआ था। प्रारंभ में, यह उत्सव रेलवे हिंदी माध्यम स्कूल के पास मनाया जाता था। बाद में, रेलवे एनईआइ मैदान में उत्सव मनाया जाता था, जहां स्कूल स्थित था। साल 1965 के बाद, पूजा बंगाली स्कूल मैदान में होनी शुरू हुई। आरंभ में, समिति का अस्तित्व नहीं था। बंगाली परिवार ने अपने सांस्कृतिक आयोजन के लिए एक हरि सभा का आयोजन किया था। इसी बाद, समिति का गठन हुआ।
जानें पांच अन्य बातें
दुर्गा पूजा को संरक्षित करने रेलवे का मिला विशेष सहयोग।
सुरक्षा को लेकर समिति व पुलिस विभाग की विशेष तैयारी।
पंडाल के अंदर भक्तों के लिए बैठने की भी खास व्यवस्था।
दुर्गा पूजा के साथ विशाल मेला भी लगेगा। खूब आकर्षण।
रामलीला व दशहरा उत्सव का खास संगम होगा।
आकर्षण 2023: सपनों का महल
समिति ने शताब्दी वर्ष को अद्वितीय शैली में मनाने का निर्णय किया है। बंगाल की जात्रा पंडाल इस उत्सव का मुख्य आकर्षण बनेगी। लगभग 30 लाख रुपये के बजट से माता के लिए सपनों का महल तैयार किया जा रहा है। इसमें देश के वीरों की कहानी से लेकर 100 साल के भारतीय इतिहास और परंपरा की महत्वपूर्ण घटनाएँ दर्शाई जाएंगी।
परंपरा: हजारों की संख्या में भीड़
बंगाली स्कूल समिति का दुर्गा उत्सव अत्यधिक विशेष होता है। प्रति वर्ष, हजारों की संख्या में लोग मां दुर्गा की पूजा करने के लिए उमड़ती हैं, और दर्शन करने के लिए जगह का कोई सीमा नहीं होती। यहाँ का माहौल सजीव और जानदार होता है। इस परंपरा को संभालने के लिए समाज के विभिन्न पदाधिकारी पिछले 100 साल से संगठित रूप से काम कर रहे हैं। समिति की स्थापना के बाद, आरएन भौमिक, रामजी मुखर्जी, एबी गोस्वामी, और वर्तमान अध्यक्ष अमर सरकार के नेतृत्व में तैयारी जारी है।
बातचीत
बंगाली स्कूल में इस वर्ष का पूजा उत्सव अत्यद्वितीय होगा। इस साल, परंपरागत पूजा के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम और जात्रा भी होगी। यह उत्सव बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को खूब आकर्षित करेगा। नाटक और थिएटर के माध्यम से समाज को भारतीय इतिहास की जानकारी देने का प्रयास किया जाएगा।