रायपुर, छत्तीसगढ़ चुनाव 2023: विधानसभा चुनाव के साथ ही टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू हो रही है, और विधायकों के खुले खिलाफ भी नकाब उतर रहा है। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के विधायकों के खिलाफ जनता की नाराजगी सामने आ रही है। राज्य सरकार, कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपने-अपने स्तर पर किए गए सर्वे में 25 विधायकों के सत्ता विरोधी लहर में फंसने की चिंता भी जताई जा रही है। इनमें कांग्रेस के 20 और भाजपा के पांच विधायक हैं।
सर्वे में एक बात सामने आई है कि विधायक अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं। उनके कामकाज को लेकर भी जनता में असंतोष है। सत्ताधारी विधायक सरकार की योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित नहीं कर पाए हैं, इसलिए विपक्षी दल भाजपा के विधायकों से जनता पिछले पांच सालों में विकास कार्यों की कमी के बारे में नाराज है। टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और संबंधित पार्टियां इन विधायकों के टिकट काटने की तैयारी में हैं।
विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के मामले में भाजपा ने एक बड़ी कदम उठाया है। अब तक 21 प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है, लेकिन किसी भी मौजूदा विधायक का टिकट घोषित नहीं हुआ है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनिंदा नेताओं के साथ विधायकों की प्रदर्शन को लेकर चर्चा की है।
इसमें यह तथ्य स्पष्ट होता है कि पांच विधायकों को दोबारा उम्मीदवार बनाया जाता है, तो उनकी जीतने की संभावना कम होती है। हालांकि प्रदेश की विधानसभा में वर्तमान में केवल 13 भाजपा विधायक हैं। इनमें आठ विधायक हैं, जो या तो रमन सरकार में मंत्री रहे हैं या फिर संगठन के उच्च पदों पर बैठे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस टिकट देने में विशेष ध्यान दे रही है।
कांग्रेस ने प्रत्याशी चुनने से पहले तीन स्तरों पर चर्चा की है। प्रदेश संगठन ने ब्लॉक स्तर पर आवेदनों की मांग की थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात और अन्य माध्यमों के माध्यम से सर्वे करवाया और विधायकों की राय जांची। इसके बाद, केंद्रीय संगठन ने स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों को अलग-अलग क्षेत्रों में भेजकर रिपोर्ट तैयार कराई थी।
कांग्रेस के तीन स्तरों पर हुए सर्वे के बाद करीब 20 विधायकों की सेहत में समस्या पाई गई। इसमें अधिकांश विधायक वह हैं, जो पहली बार चुनाव जीते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले चुनाव में रमन सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों के खिलाफ तीस हजार से ज्यादा वोट से जीत दर्ज करने वाले पहली बार के विधायकों के प्रति भी जनता में नाराजगी सामने आई है।
हार गए थे रमन सरकार के आठ मंत्री
पिछले विधानसभा चुनाव में रमन सरकार के आठ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने पहली सूची में पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा को उम्मीदवार के रूप में घोषित किया था, लेकिन पैकरा को फिर उम्मीदवार नहीं बनाया गया। रमन सरकार में मंत्री रूप में काम कर रहे थे: राजेश मूणत, केदार कश्यप, महेश गागड़ा, रामसेवक पैकरा, भैयालाल राजवाड़े, दयालदास बघेल, अमर अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडेय। जबकि मंत्री रमशीला साहू को पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया था।
सीएम पसंद, विधायकों से नाराजगी
अलग-अलग एजेंसियों की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन कांग्रेस विधायकों के खिलाफ जनता में असंतोष है। हालांकि सर्वे रिपोर्टों के आधार पर, वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला अच्छा माना जा रहा है। पिछले चुनाव में, जनता ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बसपा के संघटन पर दोनों दलों की कई सीटों पर समीकरण को प्राथमिकता देने के बजाय बिगाड़ दिया था।