दूध उत्पादन में वृद्धि हुई: रायपुर, छत्तीसगढ़ में पशुधन संपदा से समृद्ध हो गई है। कृषि क्षेत्र के उत्पादन मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत है। अधिकांश ग्रामीण परिवारों के पास एक या दूसरी प्रजाति की पशुधन है। भूमि की तुलना में पशुधन जोत का वितरण अधिक न्यायसंगत है, यह दर्शाता है कि गरीबों के पास फसल उत्पादन की तुलना में पशुधन उत्पादन में अधिक अवसर है। इसी कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कृषि के साथ-साथ पशुधन को बढ़ावा देने के लिए भूपेश सरकार ने सराहनीय कदम उठाए हैं।
प्रदेश में बढ़ा दूध उत्पादन
प्रदेश में गौवंशीय पशुओं की संख्या को देखें तो 20वीं पशु संगणना के आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या 99.84 लाख है। अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में गायों की संख्या एक करोड़ से भी अधिक हो चुकी है। 20वीं पशु संगणना 2019 में आयोजित की गई थी, और यह प्रति पांच साल में आयोजित की जाती है। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे नरवा, गरवा, घुरूवा, और बाड़ी प्रोजेक्ट का भी दूध उत्पादन पर असर दिखाई देता है।’
वर्तमान में गाय के अलावा अन्य दुधारू पशुओं की संख्या को देखें तो इनकी संख्या 1.58 करोड़ है। राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में दूध का उत्पादन बढ़ गया है। हालांकि प्रति व्यक्ति 406 ग्राम दूध की उपलब्धता के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय औसत के पीछे हैं, लेकिन वर्तमान में यह उपलब्धता 105 ग्राम से बढ़कर 159 ग्राम पहुंच चुकी है।’
छत्तीसगढ़ पशुधन विभाग के संचालक चंदन त्रिपाठी ने बताया कि राज्य में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। हर साल छह लाख पशुओं को चिकित्सकीय तरीके से गर्भधारण कराया जा रहा है। राज्य सरकार के योजनाओं के परिणामस्वरूप लोग प्रभावित हुए हैं। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी, और गौठानों का महत्वपूर्ण योगदान है।
किसानों को खेती किसानी से हो रही तरक्की
भूपेश सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में दूध उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। पशुपालन को प्रोत्साहित करने से कृषि और किसानों के विकास में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, किसानों के व्यापार और व्यवसाय की वृद्धि भी इस पर निर्भर है। भूपेश सरकार के विशेष पहल के साथ ही प्रदेश में ग्रामीण विकास के लिए नवाचारी योजनाओं और इनके कार्यान्वयन से आर्थिक विकास के लिए बेहतर माहौल तैयार हुआ है। प्रदेश में पशुधन और मिश्रित फसल लाइव स्टॉक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां फ़सल उत्पादन पशुओं की अधिकांश फ़ीड और चारे की आवश्यकताओं को पूरा करता है और वे फ़सल उत्पादन के लिए ऊर्जा और गोबर खाद प्रदान करते हैं। इस प्रकार के संबंध को फ़सल और पशुधन उत्पादन की स्थिरता और घरेलू खाद्य सुरक्षा के लिए फायदेमंद माना जाता है।
किसानों के आय में हो रही वृद्धि
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में छोटे किसानों का महत्वपूर्ण स्थान है। लगभग 73 प्रतिशत भूमि 2 हेक्टेयर से कम के किसानों के पास है, जिसका क्षेत्रफल 29 प्रतिशत है। इन परिवारों के लिए फसल उत्पादन आजीविका का एकमात्र स्रोत होने की संभावना नहीं है। वे अक्सर पशुपालन जैसी ऑफ-फार्म और गैर-कृषि गतिविधियों से जीवित रहते हैं और ज्यादातर जानवरों को खाद्य और नकद आय के नियमित स्रोत के रूप में प्राथमिकता देते हैं।
प्रति व्यक्ति की आय के साथ, पशुधन उत्पादों की खपत पिछले दशक में खाद्य उत्पादों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है, जिसने पशुधन और मुर्गों के उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत करने के लिए सुगम बनाया है। पशुपालन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, जिससे छोटे पशुपालकों को गरीबी और पोषण की समस्याओं से मुक्ति मिली है, और वे अब आर्थिक विकास के माध्यम से बाजार अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं, इसे सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट पशुधन विकास और प्रजनन नीति का निर्माण किया गया है।
पशुधन को बढ़ावा देने के लिए इन योजनाओं से हो ग्रामीणों की हो रही तरक्की
गोधन न्याय योजना
भूपेश सरकार ने इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए गाय पालन से जुड़े किसानों के लिए ‘गोधन न्याय योजना’ शुरू की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गाय-पालन को आर्थिक रूप से फायदेमंद बनाने, खुले में चराई की रोकथाम और सड़कों घूमते आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए इस योजना का ऐलान किया गया।
गाय पालन को बढ़ावा
भूपेश बघेल ने बताया कि गोधन न्याय योजना का उद्देश्य प्रदेश में गाय पालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उसके माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है।
गौठानों का निर्माण
गांवों में पशुधन के विकास के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। प्रदेश के लगभग 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है और लगभग 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले दो-तीन महीने में लगभग 5 हजार गांवों में गौठान बन गए हैं।
गोबर खरीदी
गोबर खरीदी से पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही गांव-गांव में की जा रही गोबर खरीदी और जैविक खाद के सतत निर्माण एवं उपयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इस योजना से गाय पालन को बढ़ावा मिलने के साथ किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो रहा है।
किसानों की आमदनी में इजाफा
‘गोधन न्याय योजना’ को पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार किया गया है। इससे किसानों की आमदनी और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।