रायपुर। छत्तीसगढ़ चुनाव 2023: झारखंड की सीमा से लगे रामानुजगंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेता रामविचार के बाद किसी भी नेता का विकल्प अब तक खोजना असंभव साबित हुआ है। इस क्षेत्र में रामविचार के अलावा ऐसा कोई नेता तैयार नहीं हुआ है जिसे चुनावी मैदान में उतारा जा सके।
2018 में, भाजपा ने रामविचार को पीछे हटाकर नए प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा था। उस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर रुखना पड़ा था। अब एक बार फिर भाजपा ने रामविचार को टिकट प्रदान किया है। रामविचार, इस क्षेत्र से अब तक छह बार विधायक चुने गए हैं। उनका एक विशेष यश है।
वर्ष 2013 में नेताम हारे पर हार नहीं माने
रामानुजगंज में रामविचार नेताम का प्रभाव गहराई से महसूस होता है। उनके परिवार के सदस्य भी वर्तमान में सक्रिय राजनीति में शामिल हैं। उनकी जीवनसंगिनी पुष्पा नेताम ने पहले अविभाजित सरगुजा जिला पंचायत के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। इसके बाद उन्होंने बलरामपुर जिला पंचायत की भी अध्यक्षी बनकर कार्य किया। वर्तमान में उनकी पुत्री बलरामपुर जिला पंचायत की अध्यक्षा हैं। वर्ष 2013 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने मानसिकता से हार को नकारते हुए आगे बढ़ा।
उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को बलरामपुर की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल किया। खुद भी वे भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हो गए। इसके साथ ही, भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के लिए भी उम्मीदवार बनाया था। वे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने के बावजूद भी अपने क्षेत्र में पहुंचते समय हमेशा आम जन के साथ संवाद स्थापित करते थे। इस बार, वे खुद चुनावी मैदान में उम्मीदवार के रूप में उपस्थित हैं। ऐसे में, कांग्रेस की अवसादना समझने में संभावना है।
नेताम के बाद कोई बड़ा नाम भाजपा में नहीं
रामानुजगंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पास रामविचार नेताम के परे कोई और महत्वपूर्ण नाम नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का संगठन दृढ़ है और संगठन के सदस्य भी नेताम के पास ही हैं। 2018 के चुनाव में, जब अविभाजित भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामकिशुन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था, तो उन्हें संगठन का साथ भी नहीं मिला था। लेकिन अब नेताम खुद मैदान में हैं, जिससे पूरे संगठन की दिशा और ध्यान उनकी ओर मुखित है।