रायपुर, छत्तीसगढ़। 2023 के छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव: विधान सभा चुनाव से छह महीने पहले, टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद, कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि अब सरगुजा के पक्ष में पलटवार हो जाएगा, लेकिन यह दिशा दिखाई नहीं दे रही है। टीएस सिंहदेव की स्थिति अब तक मजबूत है, लेकिन सरगुजा में परिवर्तन आ गया है। सिंहदेव वर्तमान में सरगुजा क्षेत्र में दौरे पर हैं, और उनके प्रतिद्वंद्वियों की गतिरोध तेज हो गई है।
ढाई-ढाई साल के अवधि में, कुछ विधायकों ने सिंहदेव के प्रति स्पष्ट विरोध व्यक्त किया था। उस समय सिंहदेव ने सीमित रूप में विरोध का सामना किया, परंतु अब जब उन्हें पावर मिली है, वे खुलकर अपने विचार प्रकट कर रहे हैं। सिंहदेव के लक्ष्य में विधायक बृहस्पत सिंह और चिंतामणि महाराज शामिल हैं।
कांग्रेस और भाजपा के लिए सरगुजा का रण काफी अहम
विधानसभा चुनाव के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा के लिए सरगुजा क्षेत्र का मुख्य प्रतिस्पर्धा काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। भाजपा ने पहली सूची में 21 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें सरगुजा क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं। कांग्रेस भी सरगुजा पर ध्यान केंद्रित करते हुए चुनाव से छह महीने पहले मंत्री टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है। पिछले विधानसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका से सिंहदेव को कांग्रेस की केंद्रीय संगठन ने मुक्तता दिलाई थी। प्रत्येक सीट पर सिंहदेव की सहमति के बाद, उम्मीदवारों का ऐलान किया गया था।
सुना जा रहा है कि मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, विधायक बृहस्पत सिंह और चिंतामणि महाराज ने सिंहदेव के खुलेआम खिलाफ आवाज उठाई थी। अब उनकी विधानसभा सीटों पर अन्य प्राधिकृत उम्मीदवार उम्मीदवारों के सामने नाम डाल रहे हैं। सिंहदेव के पक्षधरों ने खुदाई की कोई क़ीमत चुकाने के लिए उन व्यक्तियों का स्वागत नहीं किया है।
इसके अलावा, कांग्रेस संगठन और सरकार ने जो सर्वे आयोजित किया था, उसमें भगत को छोड़कर अन्य तीन विधायकों की स्वास्थ्य स्थिति को खराब बताया गया है। यही कारण है कि भूपेश सरकार के एकमात्र मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को मंत्रिमंडल से बाहर की दिशा में कदम उठाने का निर्णय लिया गया था। अब संकेत मिल रहे हैं कि सरगुजा क्षेत्र में टिकट वितरण में बड़े बदलाव की संभावना हो सकती है।
आतंरिक गुटबाजी में सिंहदेव की सीट पर 108 दावेदार
प्रदेश में, कांग्रेस ने ब्लॉक स्तर पर चुनावी टिकट के लिए आवेदन प्रारंभ किया था। प्रदेश की एकमात्र सीट अंबिकापुर से 108 उम्मीदवारों ने अपनी प्राधिकृत योग्यता को प्रस्तुत किया। सुना जा रहा है कि मंत्री भगत के करीबी और खाद्य आयोग के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबरा ने पहले ही समय पर सिंहदेव के खिलाफ उम्मीदवार बनने की अपनी इच्छा व्यक्त की। इसके बाद, सिंहदेव के पक्षधरों ने बाबरा के उम्मीदवारों को सरकारी मुद्दों पर खरे उतारने के लिए विमुक्त करवाने के लिए सख्त आवेदन किए। हालांकि, यह देखा गया है कि कांग्रेस के पदाधिकारी और सिंहदेव के समर्थकों के बीच कोई नेता ऐसा नहीं बचा है, जिसने टिकट की मांग की हो।
जशपुर में भी बदले-बदले से हैं समीकरण
सरगुजा संभाग के जशपुर में तीन विधानसभा सीटों पर इस बार समीकरण में बदलाव की दिशा में बदलते दिख रहे हैं। इस क्षेत्र में एक सीट पर वरिष्ठ आदिवासी नेता और हाल ही में भाजपा से जुड़कर आए नंदकुमार साय की उम्मीदवारी हो रही है। इसके साथ ही, एक और सीट पर एक IAS अधिकारी की मां के द्वारा उम्मीदवार बनने की सूचना आई है। इसके अतिरिक्त, जशपुर के एक और सीट पर पिछले चुनाव से ही रिटायर हो चुके IAS अधिकारी की उम्मीदवारी का विचार प्रकट हो रहा है। हालांकि, जशपुर के तीनों सीटों पर उम्मीदवारों की प्रगति की जानकारी सामान्यत: संतोषजनक नहीं मिल रही है। अब सभी की दृष्टि चुनाव समिति पर है, जिसमें सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के साथ खुद टीएस सिंहदेव भी समिति के सदस्य हैं।