भिलाई: इंजीनियरिंग छात्रों ने तैयार किया गजब का साफ्टवेयर, अपराधियों का चेहरा देखते ही पूरी कुंडली बता देगा दृष्टि नयन

भिलाई। भिलाई समाचार: छत्तीसगढ़ के दुर्ग पुलिस के लिए बीआइटी के छात्रों ने एक विशेष सॉफ़्टवेयर विकसित किया है। इसके माध्यम से एक फोटो से अपराधी की पूरी कुंडली की पहचान की जा सकती है। इस चेहरा पहचान सॉफ़्टवेयर का नाम ‘दृष्टि नयन’ रखा गया है। इस सॉफ़्टवेयर में पुलिस ने पांच हजार अपराधियों के चेहरे के डेटा को अपलोड किया है। यह डेटा पुलिस के वॉट्सएप ग्रुप से जुड़ा है। जब पुलिस किसी अपराधी की फोटो अपलोड करती है, तो कुछ ही सेकंडों में उसकी पूरी जानकारी सामने आती है।

बीआइटी के विद्यार्थियों ने तैयार किया ये साफ्टवेयर

दुर्ग, बीआइटी: पांच इंजीनियरिंग छात्र, विपिन गौतम, शुभम भगत, प्रथम साहू, यशवर्धन सिंह और राजकुमार सिंह, ने इस सॉफ़्टवेयर का निर्माण किया है। सभी छात्र कंप्यूटर साइंस के पहले साल के छात्र हैं। इन विद्यार्थियों ने अपने सॉफ़्टवेयर की जानकारी एसपी शलभ सिन्हा को साझा की थी, और यह सूचना उन्हें काफी प्रसन्न की।

इसके पश्चात्, उन्होंने दुर्ग में विद्यार्थियों को अपने सीसीटीएनएस के नेटवर्क में शामिल किया और उनके आधार पर यह सॉफ़्टवेयर विकसित किया गया। इस सॉफ़्टवेयर का कोडिंग विजर्ड में विकसित किया गया है और इसमें पांच हजार से अधिक अपराधियों के फेस डेटा का आभास है।

जैसे ही पुलिस किसी अपराधी की फोटो तस्वीर खिचकर इस सॉफ़्टवेयर से जुड़े वॉट्सएप ग्रुप में डालेगी, तो कुछ ही सेकंडों में उस अपराधी के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी। इस सॉफ़्टवेयर के निर्माता विद्यार्थियों ने इसका दावा किया है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है और कोई भी हैकिंग का प्रयास इसे परेशान नहीं कर सकता।

इस तरह से काम करेगा साफ्टवेयर

फेशियल रिकग्निशन सॉफ़्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बोट पर आधारित है, जिसमें सजा से मुक्त होने वाले अपराधी, नजरअंदाज करने वाले अपराधी, वारंटी, और पुलिस स्टेशन में छोटे या बड़े अपराधों में जेल जाने वाले अपराधियों का फेस डेटा संग्रहित होता है। यह डेटा दुर्ग पुलिस के सभी WhatsApp ग्रुपों से जुड़ा हुआ है।

मान लीजिए कि रात्रि को पुलिस किसी स्थान पर पैदल चक्कर लगा रही है। इस समय, उन्हें कई संदिग्ध व्यक्तियों से मुलाकात हो सकती है। आमतौर पर, पुलिस उन व्यक्तियों से उनके नाम, पते और उनकी रात्रि में चक्कर लगाने की वजह के बारे में पूछती है। यह पुलिस का पारंपरिक तरीका है, हालांकि यह पूरी तरह से प्रासंगिक नहीं हो सकता।

अपराधी किस्म के व्यक्ति चालाकी दिखाकर पुलिस से झूठ बोलकर बच निकलते हैं, लेकिन इस सॉफ़्टवेयर की सहायता से पुलिस को अपराधियों की पहचान करने में सहायता मिलेगी। यदि पैदल गश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति पाया जाता है, तो पुलिस उसकी फ़ोटो खिचकर अपने WhatsApp ग्रुप पर अपलोड करेगी।

अपराधी का कोई पैंतरा भी नहीं आएगा काम

वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने वाले लिंक के साथ सॉफ़्टवेयर तुरंत सक्रिय हो जाएगा और उस फ़ोटो में दिख रहे चेहरे से उपलब्ध फेस डेटा का विश्लेषण करके कुछ ही सेकंडों में उस व्यक्ति की पूरी जानकारी उसी वाट्सएप ग्रुप में भेज दी जाएगी। इससे अपराधी का कोई भी पैंतरा काम नहीं करेगा और उन्हें बचने का कोई मार्ग नहीं रहेगा।

उनके पास कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही डेटाबेस में उनका फेस डेटा मौजूद है, ऐसे व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होगी। इसके परिणामस्वरूप, उनकी संपूर्ण जानकारी पुलिस द्वारा रिकॉर्ड में रहेगी। यदि वे रात्रि में किसी भी संदिग्ध गतिविधि के क्षेत्र में प्रकट होते हैं, तो उन्हें आसानी से पकड़ा जा सकेगा।

एसपी दुर्ग शलभ सिन्हा ने व्यक्त किया, “आँखों के सामने आने वाले फेशियल रिकग्निशन सॉफ़्टवेयर एक बेहद ही उपयोगी उपकरण है। इसके माध्यम से संदिग्ध परिस्थितियों में अपराधी की पहचान करना सुगम हो जाता है। जब दुष्ट व्यक्ति किसी अन्य थाना क्षेत्र में संदिग्ध परिस्थितियों में आते हैं, तो उनकी पहचान करना कठिन हो सकता है, परन्तु इस सॉफ़्टवेयर के द्वारा उनकी पहचान आसानी से की जा सकेगी।”

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