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सांसद निधि की राशि के पाई-पाई का हिसाब रखने के लिए केंद्र सरकार ने एमपी लैंड अंतर्गत एमपी लैंड्स अंतर्गत संशोधित फंड फ्लो प्रक्रिया में संशोधन कर दिया है। इसके तहत प्रत्येक जिले की योजना एवं सांख्यिकी विभाग अपना कार्य करेगा पर सांसदों के स्वीकृत कार्य की सीधे मॉनिटरिंग अब केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
इसके लिए सरकारी निर्माण एजेंसियों को अपना खाता खोलना होगा। निर्माण कार्य से संबंधित राशि का भुगतान किस्तों में इन्हीं खातों में की जाएगी। योजना एवं सांख्यिकी विभाग ने नगर निगम सहित समस्त जनपद पंचायत एवं नगर पालिक शासकीय एजेंसियों को सांसदों के शिकारियों की राशि ट्रांसफर करने के लिए खाता खोलने का पत्र भेज दिया गया है।
सांसदों और राज्यसभा सदस्य के सांसद निधि की पाई-पाई की गणना करने के लिए, केंद्र सरकार ने अब एक नई व्यवस्था लागू की है। केंद्र सरकार ने एमपी लैंड के अंतर्गत संशोधित फ्लो प्रक्रिया में जरूरी संशोधन किए हैं। इस संशोधन के साथ ही, देशभर के राज्य सरकारों को निर्देशों के पालन की जांच करने के लिए एक पत्र भी जारी किया गया है।
इस नई व्यवस्था के अंतर्गत, प्रत्येक जिले के योजना और सांख्यिकी विभाग अपने काम करेंगे। सांसदों के स्वीकृत कार्यों के मॉनिटरिंग अब केंद्र सरकार द्वारा सीधे किया जाएगा। सांसदों के फंड की पाई-पाई की गणना करने के लिए, सांसद स्वीकृत कार्य के काम की जांच करने के बाद ही किस्तों में राशि जारी करेंगे।
यह जमा की गई राशि निर्माण एजेंसियों के खातों में जाएगी। जिला योजना और सांख्यिकी विभाग ने सांसद निधि के तहत स्वीकृत प्रस्तावों के आधार पर काम करने वाले अन्य शासकीय निर्माण एजेंसियों,
राशि चार किस्तों में विभाजित करके जमा की जाएगी।
अब संशोधित फंड फ्लो प्रक्रिया के तहत, सांसदों द्वारा स्वीकृत कार्यों की राशि शासकीय एजेंसियों के खातों में भुगतान के लिए जमा की जाएगी। इसके लिए सभी शासकीय एजेंसियों में अलग-अलग खाते खुलवाए गए हैं। इन खातों में राशि का अंतरण किया जाएगा।
यह राशि चार अलग-अलग किस्तों में जमा होगी। स्वीकृत कार्य के लिए पहले चरण में 25% राशि दी जाएगी। निर्माण एजेंसियों के कार्य की गुणवत्ता और समय सीमा में कार्य होने की संस्कृति के आधार पर, 25% की दो अतिरिक्त किस्तें जारी की जाएगी। अंतिम किस्त कार्य पूर्ण होने और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी होने के बाद जारी की जाएगी।