छत्‍तीसगढ़ में SC-ST वर्ग के युवाओं का भड़का गुस्‍सा, ‘निर्वस्त्र’ होकर किया प्रदर्शन, जानिए वजह

छत्तीसगढ़: रायपुर में एससी-एसटी जाति के आंदोलित युवाओं ने अपने गुस्से को व्यक्त करने के लिए नंगा प्रदर्शन किया। ये युवा फर्जी जाति प्रमाण पत्र या सरकारी नौकरी के मामले में शामिल आरोपितों के खिलाफ सरकारी संरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने विधानसभा की ओर कूच की और कठोर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

कौन और क्यों कर रहें निर्वस्त्र प्रदर्शन

वास्तविकता में, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में लिए गए कार्रवाई से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवाओं को अब सरकार से नाराजी है। उदाहरण के लिए, जिन फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामलों की जांच सरकार ने करवाई थी, उनमें दोषियों के खिलाफ सरकारी आदेश के बावजूद तीन वर्षों के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही, फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को महत्वपूर्ण पदों में पदोन्नति दी जा रही है।

इससे अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवा आंदोलित हो गए हैं, इसलिए वे ने अपनी मांगों को लेकर एक मोर्चा खोला है और पिछले दिनों से वे आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारी की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई, लेकिन सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण, आंदोलनकारी ने आमरण अनशन को ठहराव दिया और आगामी मानसून विधानसभा सत्र में निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी

वर्तमान में छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति के माध्यम से सरकारी नौकरी के मामले में एक गर्माहट देखी जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही विभिन्न विभागों को शिकायतें मिली हैं कि गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे के तहत शासकीय नौकरियों और राजनीतिक क्षेत्रों में अधिक लाभ उठा रहे हैं।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की स्थापना की थी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साथ नौकरी कर रहे अधिकारी और कर्मचारियों को तत्काल हटाकर महत्वपूर्ण पदों से बर्खास्त करने के निर्देश जारी कर दिए।

सरकारी आदेश को पूरा न करके, आदेश खानापूर्ति होने की घोषणा के बावजूद, कुछ सेवानिवृत्त हो चुके और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साथ नौकरी करने वाले व्यक्तियों के द्वारा जांच समिति की रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि, सामान्य प्रशासन द्वारा जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की सूची में बहुत सारे लोग हैं जो सरकारी आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं और मलाईदार पदों में प्रमोशन करके अपनी सेवाएं चला रहे हैं।

सरकार की गठित समिति ने पाये 267 प्रकरण फर्जी

छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र के शिकायतों की जांच के लिए उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की स्थापना की। समिति को 2000 से 2020 तक कुल 758 मामलों में से 659 मामलों की जांच का कार्य सौंपा गया। इस परिक्षण में, 267 मामलों में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की पुष्टि हुई।

गैर आरक्षित होकर कोटे से बने IAS से लेकर चपरासी

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी सरकारी विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले पाए जाते हैं। इसमें सबसे अधिक मामले खेल एवं युवा कल्याण विभाग में हैं, जहां 44 मामले दर्ज हुए हैं। उसके अलावा भिलाई स्पात संयंत्र में 18 मामले और सामान्य प्रशासन विभाग एवं कृषि विभाग में 14-14 मामले हैं। इस प्रकार, प्रत्येक विभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले मौजूद हैं। यदापि, इन मामलों की जांच पूरी होने के बावजूद और सरकारी आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सरकार कों नींद से जगाने का काम करेंगे

आंदोलन के नेतृत्वकर्ता विनय कौशल ने बताया कि उन्होंने पहले से ही जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत की थी। उन्होंने ऊपर से दबाव का जिक्र किया था और हमने कार्रवाई न करने पर आंदोलनकारियों को चेतावनी दी। हमने 16 मई से आमरण अनशन शुरू किया था और 10 दिनों तक भूखे रहकर आंदोलन किया। हमारे संघर्षक युवा साथियों को गंभीर हालातों में अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन सरकार और प्रशासन इस मामले में उदासीनता दिखाए रखे। हमने आमरण अनशन को स्थगित कर दिया है, लेकिन हम अपने हक और अधिकार के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। हम समझौता करके अपने स्वाभिमान को नहीं खो सकते हैं, इसलिए हम पूर्ण रूप से निर्वस्त्र होकर सरकार को जगाने का काम करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page