रायपुर: पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व जीएम अशोक चतुर्वेदी को गिरफ़्तार करने के लिए एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम रायपुर पहुंच गई है। यह टीम 2 दिन की ट्रांजिट रिमांड पर ले जाकर रायपुर में पहुंची है। आज शनिवार को एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम अशोक चतुर्वेदी को रायपुर कोर्ट में देर शाम तक पेश करके रिमांड पर ले सकती है। यह जानकारी देने लायक है कि अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं। उन्होंने कोर्ट में जमानत खारिज होने के बाद से फरारी थीं। पिछले दिनों एक टीम ने उन्हें आन्ध्रप्रदेश के गुंटूर जिले से गिरफ़्तार किया है। अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ EOW में दर्ज 3 मामलों की जांच जारी है।
जानकारी के अनुसार, पाठ्यपुस्तक निगम में अपराध क्रमांक 2/20 के तहत, ग्रीन बोर्ड के टेंडर के नाम पर अपने बेटे के खाते में 31 लाख रुपए जमा कराए गए हैं। वहीं, अपराध क्रमांक 19/20 में फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर टेंडर पास करवाने का मामला और कमेटी को गुमराह करके ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का मामला दर्ज है। साथ ही, अपराध क्रमांक 16/20 में अनुपातहीन संपत्ति का मामला दर्ज हुआ है। यहाँ बताया जाता है कि अशोक चतुर्वेदी, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व जनरल मैनेजर और पंचायत विभाग के अधिकारी हैं, जो पाठ्यपुस्तक निगम में प्रतिनियुक्ति पर थे।
टेंडर प्रक्रियाओं में करोड़ों की जालसाजी मामले में एफआईआर
छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है। टेंडर प्रक्रियाओं में जालसाजी कर लाखों रुपये की अनियमितता के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। नवंबर 2019 में राज्य सरकार ने चतुर्वेदी की प्रतिनियुक्ति को समाप्त करते हुए उनकी सेवाएं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को लौटा दी थी। इस निर्णय के खिलाफ चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में स्टे ले लिया था। टेंडर में हुई अनियमितता की शिकायत के बीच जांच का जिम्मा एसीबी-ईओडब्ल्यू को सौंपा गया था।
अधिकारियों ने बताया कि होप इंटरप्राइजेज को अकेले को काम देने और लाभ पहुंचाने के लिए अशोक चतुर्वेदी और कमेटी के सभी सदस्यों ने कपटपूर्वक, जालसाजी से तैयार और झूठी निविदाओं पर फैसला लिया और होप इंटरप्राइजेज को करोड़ों रुपये का ठेका दिया गया। उन्होंने बताया कि इस टेंडर में चार आवेदक बताए गए हैं, लेकिन जांच में साबित हुआ कि होप इंटरप्राइजेज को काम देने के लिए बाकी फर्मों के नाम से झूठी निविदाएं पेश की गईं। इन निविदाओं में कागजात भी जालसाजी से तैयार किए गए, नकली बिजली बिल बनाए गए और बिजली बिल की छाप लिए गए, जबकि निविदाकारों की ओर से दस्तखत भी नहीं किए गए। इसके अलावा, जो ईएमडी और बैंक ड्राफ्ट लगाए गए थे, वे भी होप इंटरप्राइजेज के कर्मचारी बृजेन्द्र तिवारी द्वारा पेश किए गए थे।