छत्तीसगढ़ में भी आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है, जो पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के साथ-साथ हो रही है। रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी में, मुख्यमंत्री भूपेश बगेल ने जगन्नाथ मंदिर स्थित प्रसिद्ध गायत्री नगर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बगेल ने यहां रथ के आगे सोने से बनी झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई।
भूपेश बघेल मुख्यमंत्री ने जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। वे प्रतिमाओं को सिर पर विराजित करके रथ तक ले गए। पहले रथयात्रा से पहले मुख्यमंत्री ने छेरापहरा (रथ के आगे सोने से बनी झाड़ू से बुहारना) की रस्म निभाई। यह रस्म प्राचीन काल में राजा-महाराजा द्वारा अपनाई जाती थी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन भी शामिल हुए।
राष्ट्रपति को CM द्वारा फोन किया गया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ फोन पर चर्चा की और उन्हें जन्मदिन और भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति मुर्मू के स्वास्थ्य और सुदीर्घ जीवन की कामना की। वहीं, राष्ट्रपति ने भी CM बघेल के माध्यम से प्रदेश के सभी लोगों को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर शुभकामनाएं भेजीं।
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भी जगन्नाथ यात्रा
मनेद्रगढ़, चिरमिरी, और भरतपुर जिलों में भी आज, 20 जून, जगन्नाथ यात्रा का आयोजन होने जा रहा है। इस रथ यात्रा में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी शामिल होंगे। चिरमिरी के पोंडी में स्थित भव्य जगन्नाथ मंदिर है, जो उत्कल समाज और ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर का एक रूप है। इस मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि पर भी एक त्योहार आयोजित किया जाता है।
इस मंदिर के आसपास विशाल चट्टानें और घने जंगल हैं, जिनकी प्राकृतिक सुंदरता देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। यह मंदिर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और अपार भव्यता से युक्त है। यहां श्री जगन्नाथ, श्री बलभद्र और माता सुभद्रा के दर्शन से सिर्फ दिव्यता, अद्भुतता और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। हर साल लाखों भक्त इस मंदिर की यात्रा करते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। रविवार को यहां रथ यात्रा भी आयोजित होती है।
बस्तर जिले में आज मनाया जाएगा गोंचा पर्व
आज छत्तीसगढ़ के बस्तर में गोंचा पर्व का भव्य आयोजन होगा। शाम को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत की जाएगी। यह रथ लगभग 20 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा है, और इसे साल की लकड़ी से निर्मित किया गया है। तीन अलग-अलग रथों में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र सवार होकर नगर की परिक्रमा करेंगे। बस्तर के लोग रथ को बांस से बनी तुपकी से सलामी देकर गोंचा पर्व मनाएंगे। इस परंपरा को बस्तर में 615 सालों से आगे बढ़ाया जा रहा है।
ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर नाथ खबारी ने बताया कि 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर नाथ खबारी ने बताया कि, बस्तर गोंचा पर्व के अनुसार एक दिन पहले नेत्रोउत्सव पूजा का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रभु जगन्नाथ ने अपने भक्तों को दर्शन दिए हैं। इसके लिए बेड़ा उमर गांव के कारीगरों ने बस्तर गोंचा पर्व के लिए एक रथ का निर्माण किया है, जिसे 7 दिनों में पूरा किया गया है।