सूरजपुर। शिक्षा के महत्व को बताने के लिए छत्तीसगढ़िया स्लोगन “स्कूल जाबो पढ़े बर, जिंदगी ला गढ़े बर” अपनाया गया है। इससे बच्चों को एक बेहतर भविष्य का सपना दिखाने का प्रयास किया जाता है, ताकि उन्हें शिक्षा प्राप्त करके समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने में सफलता मिले। लेकिन प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के गृह जिले में विभागीय लापरवाही के कारण 209 छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में है। हायर सेकेंडरी स्कूल, परशुरामपुर, जिला सूरजपुर में दसवीं की परीक्षा में 209 बच्चों को गणित में शून्य अंक प्राप्त हुए हैं।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने लगाए आरोप
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा लगाया गया आरोप है कि इस सेंटर में सामूहिक नकल की घटना हुई है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है जबकि शिक्षा विभाग ने अभी तक किसी शिक्षक या अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण छात्रों के परिवार और स्थानीय लोगों में क्रोध उभरा है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम के नियंत्रण में आने वाले सूरजपुर जिले में 209 छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में दिख रहा है।
4 स्कूलों के दसवीं के 209 छात्रों के गणित में शून्य अंक
वास्तव में, माध्यमिक शिक्षा मंडल ने जिले के 4 स्कूलों के दसवीं कक्षा के 209 छात्रों के रिजल्ट पर सामूहिक नकल का आरोप लगाकर उन्हें गणित के विषय में शून्य अंक दिए हैं, जिसके पश्चात सभी छात्र पूरक परीक्षा देने के लिए मजबूर हैं। छात्रों के मुताबिक, उनके परीक्षा केंद्र में किसी भी प्रकार की नकल नहीं हुई है। उनके सभी विषयों में अच्छे अंक प्राप्त हुए हैं, लेकिन शिक्षा विभाग और शिक्षा मंडल की लापरवाही के कारण, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इससे छात्रों के परिजनों और स्थानीय लोगों में भी क्रोध देखा जा रहा है। उनके अनुसार, यदि सामूहिक नकल हुई है, तो परीक्षा आयोजित करने वाले शिक्षकों, उद्यमी छात्रों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी किसी भी वक्त कुछ नहीं कह रहे हैं। स्कूल के प्रिंसिपल भी यह दावा कर रहे हैं कि शिक्षकों ने बच्चों को किसी तरह का सहायता नहीं दी थी, साथ ही सामूहिक नकल जैसी कोई घटना भी नहीं हुई थी। उनके मुताबिक, गणित की परीक्षा के दिन फ्लाइंग स्कॉट की टीम सेंटर पर आधे घंटे तक मौजूद रही थी। इसके अलावा, बीईओ भी परीक्षा के दौरान पूरे समय सेंटर पर ही मौजूद थे। इस प्रकार, सामूहिक नकल कैसे संभव हो सकती है? स्कूल के प्रिंसिपल भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि शिक्षक और शिक्षा मंडल की लापरवाही के द्वारा इन मासूम बच्चों को दंडित किया जा रहा है। सवाल यह है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है और क्या उन जिम्मेदार शिक्षक और अधिकारियों को सजा मिलेगी?