रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बोर्ड ने आज, यानी शुक्रवार (19 मई) को मुंबई में आयोजित मीटिंग में अपना निर्णय लिया। इस मीटिंग में बोर्ड ने केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 87,416 करोड़ रुपये की डिविडेंड देने का ऐलान किया है। यह तुलनात्मक आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले तीन गुना अधिक है। इस मीटिंग में गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें RBI के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 602वीं मीटिंग हुई। इस मीटिंग में सरकार को यह डिविडेंड ट्रांसफर करने की मंजूरी दी गई।
पिछले साल, आरबीआई ने सरकार को 30,310 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। आरबीआई हर साल सरकार को डिविडेंड प्रदान करता है। पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो आरबीआई ने केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 30,310 करोड़ रुपये के रूप में डिविडेंड दिए थे।
आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में उसकी वित्तीय स्थिति, वैश्विक और घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। रिजर्व बैंक ने पूरे वित्तीय वर्ष में किए गए कार्यों की जांच की और सेंट्रल बैंक की वार्षिक लेखा-वृत्त की मंजूरी दी गई। कंटिंजेंसी फंड को 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
सामान्यतः मई महीने में ही ऐसी मीटिंगें होती हैं, जिसमें आरबीआई अपनी वित्तीय स्वास्थ्य और डिविडेंड राशि पर निर्णय लेता है।
सरकार की उम्मीद थी कि 48,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिलेगा। इस साल, केंद्र सरकार को उम्मीद से अधिक डिविडेंड मिला है। क्योंकि सरकार ने इस साल आरबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों से 48,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड की उम्मीद की थी। सरकार को वित्तीय संस्थानों से डिविडेंड प्राप्त होता है जहां उसका हिस्सेदारी होती है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के विशेषज्ञों के मुताबिक, एनालिस्ट्स ने कहा था कि आरबीआई इस वित्तीय वर्ष में 1-2 लाख करोड़ रुपये तक का डिविडेंड दे सकती है।