भगवान दास शर्मा (94) और उनकी पत्नी चमेलीदेवी शर्मा (82) अमरदीप टॉकीज रोड पर निवास करते थे। उनके बेटे श्याम सुंदर शर्मा ने इस घर के कब्जे के मामले में अपने पिता को घर से निकाल दिया था। बुजुर्ग ने अपनी बेटी के घर रहने का निर्णय लिया था। बुजुर्ग ने इस मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में शिकायत की। प्रधान न्यायाधीश संतोष शर्मा ने प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा को निर्देश दिए कि इस मामले की कार्यवाही तुरंत की जाए। लीगल पैनल अधिवक्ता और पैरालीगल वालेंटियर भी इस मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त किए गए। प्राधिकरण ने बेटे को हर महीने 15,000 रुपये देने के आदेश जारी किए और बुजुर्ग को उनके घर की चाबी सौंपी।