दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए वाकई चौंकाने वाले हादसे की खबर है। पुलिस ने छात्राओं को घसीटा जब वे पहलवानों के हक में मार्च निकाल रही थीं। इसके साथ ही पहलवानों ने भी सिक्योरिटी को लौटाया है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने पहलवानों के समर्थन में मार्च निकाला था, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है। छात्राओं ने पुलिस पर अभद्रता और मारपीट का आरोप लगाया है। बजरंग पूनिया ने इस मार्च के दौरान छात्रों के समर्थन में आवाज उठाया था। पहलवानों ने छात्राओं के साथ हुई अभद्रता की निंदा की है।

अन्यतः, भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन आरंभ किया है। उन्होंने दिल्ली पुलिस की सुरक्षा लौटा दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें सुरक्षा दी गई थी, जिसमें एक-एक सिपाही उनके साथ 12-12 घंटे की शिफ्ट में रहता था। खिलाड़ियों ने बताया कि वे जंतर-मंतर पर भी सुरक्षित नहीं होते हैं, तो कहीं भी सुरक्षित नहीं हो सकते हैं। वे अपना धरना शांतिपूर्वक दे रहे हैं। लोग रोजाना उनके समर्थन में जंतर-मंतर पर जमा हो रहे हैं।

बजरंग ने बताया कि बृजभूषण शरण सिंह के जेल जाने तक हम यहीं ठहरेंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले पीटी ऊषा ने उनके धरने के विरोध में अपनी बात रखी थी, जिससे देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके जवाब में रेसलर्स ने उनसे ऐसा बयान नहीं दिया था, क्योंकि वे अपने हक की रक्षा करने के लिए धरने पर बैठे थे।

विनेश फोगाट ने बताया कि वे और अन्य खिलाड़ी ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बात करके अपने धरने को समाप्त कर दिया था। वे सभी उन्हें यौन उत्पीड़न के मामले के बारे में बताया था। एक कमेटी बनाकर, उन्होंने इस मामले को दबाने के लिए कोशिश की थी, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

बृजभूषण शरण सिंह ने पत्रकारों से अपनी बातचीत में बताया कि उन्होंने ऐसे अध्यक्ष के घर भी जाएं हैं, जो शादी में बुलाते थे और उनके परिवार में आते थे और वे सभी एक ही परिवार के तरह रहते थे। उन दिनों उन्हें कोई गोपनीय शिकायत नहीं थी। लेकिन जब उन्हें एक पॉलिसी लेकर आना पड़ता है, जैसे कि ओलंपिक में कौन जाएगा और कौन नहीं, तब उन्हें तकलीफ होती है। यह कुश्ती जैसे खेल में सामान्य परिवार के बच्चे भी खेलते हैं। वे अपनी जरूरतों में कटौती करके बादाम-घी का इंतजाम करते हैं और उनकी आशा होती है कि उनका बेटा नेशनल या इंटरनेशनल खेलेगा।

बृजभूषण शरण सिंह ने इसके अलावा बताया कि दुनिया के किसी भी देश में खिलाड़ियों को इतनी सहूलियत या पैसा नहीं दिया जाता है, जितना कि हमारे देश भारत में दिया जाता है। बहुत से देश तो उस दिन का इंतजार करते हैं जब उन्हें भारत से मौका मिलेगा।



विनेश ने बताया कि जंतर-मंतर पर बैठने से तीन-चार महीने पहले हम एक अधिकारी से मिले थे। उस समय हमने उन्हें महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न और मानसिक रूप से प्रताड़ित होने की समस्या के बारे में सब कुछ बताया था। लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, इसलिए हम धरने पर बैठ गए थे।

जनता के आवाज को सरकार तक पहुंचाने का यह एक सशक्त तरीका है। लेकिन एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ खड़े होना मुश्किल होता है, जो अपनी स्थिति और शक्ति का दुरुपयोग करता रहता है। हालांकि, वहीं पहलवानों की मांगों को लेकर भाजपा सांसद मेनका गांधी ने समर्थन जताया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान यह कहा कि इस तरह की समस्याओं से जूझना बेहद जरूरी है और यह अफसोस की बात है कि इसके लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने भगवान से यही प्रार्थना की है कि अन्याय के खिलाफ लड़ रहे लोगों को न्याय मिले।

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