“स्कूल में भूत-प्रेत की अफवाह, दहशत में ग्रामीणों को: 2 साल में 5 शिक्षकों की मौत हुई, इतना खौफ है कि परिजन अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे हैं।”

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“खड़गवां ब्लॉक, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में सरकारी स्कूल में अंधविश्वास के कारण ताला लटका हुआ है। स्कूल में भूत-प्रेत की अफवाह के कारण ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल भेजने से रोक रहे हैं। इससे बच्चों की शिक्षा अधूरी हो रही है। यह समस्या सावला ग्राम पंचायत में स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में है।”

“दरअसल, यहां बीते 2 साल में 5 स्कूल स्टाफ की मौत हो गई है। इसके बाद से ग्रामीणों के बीच फैल गई अफवाह है कि यहां भूत-प्रेत का साया है जो लोगों की जान ले रहा है। हाल ही में स्कूल में पदस्थ शिक्षक श्याम बिहारी की मौत हुई थी जिसकी जगह पर अब दूसरी शिक्षिका मोनिता वर्मा की नियुक्ति हुई है। लेकिन वे फिलहाल छुट्टी पर हैं।”

इस मामले पर जांच की और शिक्षिका मोनिता वर्मा से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वे इस स्कूल में एकमात्र शिक्षक हैं और शिक्षक श्याम बिहारी के निधन के बाद उनकी नियुक्ति हुई है। उन्होंने भूत-प्रेत की बात पर कहा कि अंधविश्वास को दूर करने के लिए गांव में जागरूकता फैलाई जा रही है। लोगों को शिक्षा के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। स्कूल अवकाश से वापस लौटने पर खोला जाएगा।

इस ग्रामीण स्कूल में लोग भूत-प्रेत की बात को मानते हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेश ने बताया कि अगर यहां भूत नहीं होते तो शिक्षकों की मौत नहीं होती। वह यहां पिछले 12 साल से काम कर रहा है, लेकिन पिछले 2 साल से ऐसा हो रहा है। पहले बच्चे बड़ी संख्या में यहां आते थे और पढ़ते थे, लेकिन 5 स्कूल स्टाफ की मौत के बाद कोई अब अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजना चाहता है।

बच्चों के गांव में न आने का कारण अंधविश्वास है, जिसके बारे में बीईओ जितेंद्र गुप्ता ने सफाई देते हुए कहा है। उन्होंने बताया कि 5 शिक्षकों की मौत के बाद ग्रामीणों में भूत-प्रेत का भ्रम फैलाया जा रहा है। जब शिक्षिका मोनिता वर्मा अपनी छुट्टियों से लौटेगी तो स्कूल खुलेगा, और उन्हें गांव में जाकर ग्रामीणों को समझाया जाएगा।

पिछले 2 साल में 5 शिक्षकों की मौत हुई

सावला गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसेलपुर में बीते 2 साल में विभिन्न कारणों से 5 शिक्षकों की मौत हो गई। यहां पदस्थ शिक्षक वीरेंद्र सिंह की ब्रेन हेमरेज से मौत हुई थी। शिक्षक चंद्रप्रकाश पैकरा अचानक घर में बैठे-बैठे खत्म हो गए। स्कूल से रिटायर होने के बाद प्रधान पाठक धरम साय की भी आकस्मिक मौत हो गई। एक और शिक्षक का भी अचानक ही निधन हो गया। इसी महीने की 11 तारीख को यहां पांचवीं मौत हुई, विद्यालय के शिक्षक श्याम बिहारी की, जिनके हाथ-पैर में अचानक दर्द उठा और इसके बाद उनकी जान चली गई।

“भूत-प्रेत की दुनिया में कोई अस्तित्व नहीं होता”- डॉ. दिनेश मिश्रा

जब दैनिक भास्कर ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र से बात की, तो उन्होंने कहा कि भूत-प्रेत जैसी चीजों का अस्तित्व इस दुनिया में नहीं होता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जागरूकता के अभाव में अक्सर ऐसी बातें फैल जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर भूत-प्रेत का अस्तित्व होता भी, तो वे शिक्षकों को अपना निशाना क्यों बनाते। अगर उनके अंदर ऐसी कोई शक्ति है भी, तो वो उसका इस्तेमाल अपराधियों को खत्म करने के लिए कर लेते। उन्होंने कहा कि दरअसल भूतों की बातें निर्मूल हैं और जिला प्रशासन को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और गांववालों को समझाना चाहिए, ताकि वे बच्चों की शिक्षा में बाधा नहीं बनें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो।

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शनिवार को दो युवकों की मौत हो गई जब गाज गिरने से। लोग उन्हें जिंदा करने की कोशिश कई घंटों तक करते रहे और उन्हें गोबर में गाड़ दिया गया। मामला सोनवर्षा गांव का है जो नागपुर चौकी क्षेत्र में है। 22 अप्रैल की शाम को आंधी-तूफान के साथ बारिश हो रही थी जिससे बचने के लिए दो युवक महुआ के पेड़ के नीचे बैठे थे, तभी एक गाज गिरने से उनकी मौत हो गई। इससे स्थानीय लोगों में भय और गड़बड़ी फैली।

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