शिव भक्तों का मेला:पहले मंदिर सूने रहते थे, अब भक्तों से भरे रहते हैं, कुछ लोगों को इससे पीड़ा हो रही

पं. प्रदीप मिश्रा का कहना है कि हर व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में संस्कृति के प्रसार में लगाना चाहिए। पहले कई मंदिर खाली रहते थे और उनमें कोई भी नहीं जाता था और वहां कोई पूजा भी नहीं की जाती थी। लेकिन अब लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर भगवान शिव को जल और बेल पत्र अर्पित करते हैं। कुछ लोगों के लिए इससे पीड़ा होती है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप पूजा और भक्ति के लिए घंटों मंदिर में बैठे रहें।

शायद वह क्षणभर ही हो, लेकिन भक्ति को अंतिम रूप से होना चाहिए। मनुष्य को जीवन में पांच पापों से बचना चाहिए – बाल हत्या, परायी स्त्री से व्यभिचार, सोने की चोरी, किसी के घर में आग लगाना और किसी का विश्वासघात करना। जहाँ भी ये पाप होते हैं, उस जगह के पानी का भी पाप हो जाता है। इसलिए, हर व्यक्ति को ये पांच पाप कभी नहीं करने चाहिए।

राम वनगमन पथ का सबसे ज्यादा हिस्सा छत्तीसगढ़ में, यह तो सौभाग्य की बात है

राम ने अपने वनवास के दौरान सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया। इससे छत्तीसगढ़वासियों को सौभाग्य मिला है। उनमें छल की भावना नहीं है, और वे किसी से धोखा नहीं देते। इसलिए यह देशभर में प्रसिद्ध है। आज हम मंदिरों की ओर लौट रहे हैं और कुछ लोग सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हम वापस जा रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वापस जाने के बाद गाड़ी सात गुना तेजी से आगे बढ़ती है।

पुण्य करो, जीवन सुधारो
भगवान ने हमें भी पूरे बजट के साथ भेजा है, इसका इस्तेमाल कर्म और भक्ति में करें

ठीक उसी तरह जैसे कि किसी निर्माण के लिए बजट तय होता है, वैसे ही भगवान भी मनुष्य को पूरे बजट के साथ भेजते हैं। उन्होंने हमें हर दिन 21600 सांसें, 3.5 करोड़ रोमछिद्र, 2 आंखें, 1 नाक समेत शरीर में अनेक अंग दिए हैं। इस बजट का इस्तेमाल हमें कर्मों के साथ भक्ति, नाम जप, भजन-कीर्तन, ध्यान और मनन में लगाना होगा, तभी हमारा जीवन सार्थक बन सकता है। अगर हम इस बजट (शरीर) को पुण्य अर्जित करने में नहीं लगा पाते हैं तो हमारा पूरा जीवन ही व्यर्थ रह जाता है।

हर रिश्ते को मजबूत बनाए रखना जरूरी है। युवा जीवनसाथी को सिर्फ सुंदरता पर ही ध्यान देना उचित नहीं है। अगर हम केवल सुंदरता को ही महत्व देंगे तो हमारे रिश्ते बिखर सकते हैं। हमें एक दूसरे के साथ विश्वास, समझदारी, सम्मान और सहयोग जैसी गुणों को भी महत्वपूर्ण समझना चाहिए। इन गुणों से रिश्ते मजबूत बनते हैं और यही हमारे जीवन के खुशहाली की गारंटी होती है।

पति-पत्नी के लिए वैवाहिक जीवन के लिए केवल चेहरे की सुंदरता ही काफी नहीं होती। दोनों के बीच संवाद, समझदारी और अपने कर्तव्यों को पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए। आज के युवा अक्सर अपने भावी जीवनसाथी में केवल सुंदरता को ही महत्व देते हैं, लेकिन बाद में इससे उतार-चढ़ाव आते हैं और रिश्ते बिखर जाते हैं। इसलिए, जीवनसाथी ऐसा होना चाहिए जो आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चले। हर संघर्ष में आपस में संवाद और साथ दें, और परिवार में बड़े-बुजुर्गों के साथ हर रिश्ते का सम्मान करें।

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