हिषा नाम की बेटी छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित ग्राम बोरीगारका से थी और उन्हें इंडियन नेवी एसएसआर के पहले महिला बैच में चयनित किया गया था।
हिशा नाम की बेटी छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित ग्राम बोरीगारका से थी और उन्हें इंडियन नेवी एसएसआर के पहले महिला बैच में चयनित किया गया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हिशा अपने गांव बोरीगारका लौटी, जहां उनके भाई कोमल सहित ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। गांव में रैली भी निकाली गई और उनके भाई कोमल बघेल हिशा को दुर्ग स्टेशन से अपनी गाड़ी में गांव ले गया। पता चला कि हिशा के पिता कई वर्षों से कैंसर से पीड़ित होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति बहुत दुर्भाग्यपूर्ण थी। फिर भी, हिशा ने उन चुनौतियों का सामना किया और हार नहीं मानी।
कोरोना काल के बाद हिशा के भाई कोमल बघेल ने बताया कि इंडियन नेवी ने पहली बार एसएसआर (सीनियर सेकेंडरी रिक्रूट) के रूप में महिलाओं को शामिल होने का सुनहरा अवसर दिया। देशभर से बड़ी संख्या में लड़कियों ने फार्म भरे। इंडियन नेवी अग्निवीर के तहत हुई भर्ती में 560 पदों पर भर्ती होनी थी, जिसमें पूरे देश में लगभग 200 महिलाएं चयनित हो पाईं।
हिशा ने छत्तीसगढ़ से मेरिट बेस पर स्टेज 1 पार करके विशाखापट्टनम में आयोजित लिखित परीक्षा दी और उसने इसमें बेहतर प्रदर्शन कियाl उसने फिजिकल टेस्ट में भी अच्छा प्रदर्शन किया और सबसे पहले चयनित हुईl उसने बताया कि उनके पिता संतोष बघेल आटो चलाते थे, लेकिन 12 साल पहले कैंसर हो गया था और उनके इलाज के लिए जमीन और गाड़ी बेचनी पड़ी, लेकिन वे ठीक नहीं हुएl हिशा की ट्रेनिंग के दौरान ही उनके पिता की मौत हो गई, लेकिन घर वालों ने इस बात को हिशा से छुपाए रखा।