छत्तीसगढ़ के किसानो कि अनसुनी कहानी आयुष वैषणव कि कलम से …….

छत्तीसगढ़ में इस वर्ष आयोजित होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही पार्टियों द्वारा जनता के सामने श्रेष्ठ बनने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है अंतिम बजट सत्र में कांग्रेस द्वारा किसानो को खुश करने का प्रयास किया गया है , सत्ता पक्ष द्वारा किसानो को अब प्रति एकड़ 15 क्विंटल कि जगह 20 क्विंटल तक धन बेचने कि छूट दी गयी है , छत्तीसगढ़ में किसान नेता बनकर उभरे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रति एकड़ धन खरीदने कि सीमा प्रति एकड़ 5 क्विंटल तो बढ़ा दिया है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अभी छत्तीसगढ़ में वर्तमान में पंजीकृत किसानो कि संख्या 24.96 लाख है जिसमे से केवल 35 प्रतिशत किसान एक वर्ष में 2 बार फसल उत्पादन कर पाते है शेष किसान पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण 1 वर्ष में केवल 1 बार ही फसल उत्पादन करने को मजबूर है जबकि छत्तीसगढ़ में उचित मात्रा में पानी उपलब्द्ध है , सरकार ने अभी तक किसानो कि इस मजबूरी को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया है , जनवरी माह तक धान बेचने के बाद किसानो को अगले 4 से 5 महीने तक बेगारी कि स्थिति में रहना पड़ता है जिससे पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ संचार विभाग द्वारा जारी किये गए सबसे कम बेरोजगारी दर के रिकॉर्ड पर भी आशंका जताई जा सकती है क्योकि छत्तीसगढ़ संचार विभाग द्वारा पिछले वर्ष 2022 में मार्च ,अप्रैल,मई ,जून महीनो में राज्य में सबसे कम बेरोजगार होने का दांवा किया गया था जबकि इन्ही महीनो में किसानो के पास कोई कार्य नहीं होता है जिससे छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगार होने के दांवे पर भी सवाल उठता है।?

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