“यो यो हनी सिंह 3.0: उन्होंने अपने रैप के जरिए पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई है। उनके गानों के बोल हमेशा से ही बहुत क्रिएटिव रहते हैं जो लोगों को खूब पसंद आते हैं। इसके अलावा बताया जाता है कि हनी सिंह ने अपने करियर के ऊपरी स्तर पर एक लंबा ब्रेक लिया था। 5-6 साल के इस ब्रेक में उनकी दुनिया बदल गई थी। वे मानसिक तौर पर बीमार थे और ऐसे में काफी महंगी और हैवी डोज की दवाएं खा रहे थे। दवाओं का साइडइफेक्ट हुआ था कि हनी सिंह का वजन बढ़ने लगा और वे काफी मोटे हो गए थे।”
कमबैक के लिए एक्साइटेड
एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे कमबैक को लेकर सवाल पूछा गया तो हनी सिंह ने कहा कि मेरे पास प्लेबैक सिंगिंग के बहुत से ऑफर हैं लेकिन मैं कोई प्लेबैक सिंगर नहीं हूं. मैं अपने गानों को खुद रिप्रेजेंट करना चाहता हूं. मुझे कई लोगों ने सलाह दी कि अगर आप कैमरे के सामने नहीं आना चाहते तो कोई बात नहीं लेकिन आप गाने हमारे लिए कंपोज कर दीजिए. हनी सिंह फिर भी नहीं माने और अब वह अपनी नई एल्बम लेकर आ रहे हैं.
कामयाबी से ज्यादा नाकामयाबी सीखाती है
‘नाकामयाबी आपकी माशूका है और कामयाबी बेवफा है.’ हनी सिंह साफतौर पर कहते हैं की नाकामी से डरना नहीं चाहिए ये आपको जीने का मकसद देती है. उसे एन्जॉय करना चाहिए और उससे सीखना चाहिए. नाकामयाबी साथ-साथ चलती रहनी चाहिए नहीं तो आदमी को लगता है कि उसने ही सब ठीक किया है.
बीमारी से जीती जंग
बत दें कि हनी सिंह को बायपोलर डिसऑर्डर बिद साइकॉटिक सिम्प्टस था. उन्हे ठीक करने में दुनिया के सात बेस्ट डॉक्टर लगे जो नाकामयाब हो गए. बाद में दिल्ली के एक डॉक्टर ने उन्हें ठीक किया. कहते हैं कि अच्छे डॉक्टर ना होने की वजह से उन्हें काफी मुश्किल हुई. गलत दवाई और गलत काउंसलिंग की वजह से उनका केस और भी ज्यादा बिगड़ गया था.