रायपुर: रायपुर में पटाखा दुकान – हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद, जिसका उद्देश्य शहर की भीड़ से पटाखा व्यापार को दूर रखना था, वर्तमान में शहर की कालोनियों के साथ ही मुख्य बाजार में भी पटाखा व्यापार चल रहा है। इसके बावजूद, जिला प्रशासन द्वारा अवैध रूप से चल रहे इस पटाखा व्यापार को दूर ले जाने की बजाय, व्यापारियों को और मोहलत दी जा रही है।
मध्य प्रदेश के गाँव हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 11 लोगों की मौत हो गई और 174 घायल हो गए। यहाँ तक कि आग लगने से पांच किलोमीटर तक के क्षेत्र में घरों की खिड़कियाँ टूट गईं और गिरने लगीं। इससे विस्फोट की भयंकरता का पता चलता है।
हरदा में हुई घटना के बाद, नई दुनिया टीम ने बुधवार को पटाखा दुकानों की जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि शहर के मुख्य बाजार से लेकर बड़े-बड़े मुहल्लों में भी पटाखा कारोबार चल रहा है। इनमें प्रमुख रूप से गोलबाजार, फूल चौक, रामसागरपारा, गुढ़ियारी, लाखेनगर चौक, बढ़ईपारा जैसे कई ऐसे घनी आबादी वाले क्षेत्र शामिल हैं, जहां अवैध रूप से पटाखा कारोबार चल रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा पिछले कुछ दिनों में उन्हें इस्थानिक स्थान परिवर्तन के लिए नोटिस जारी किया गया था। व्यापारी मनीष राठौड़ का कहना है कि पटाखा व्यापार को घनी आबादी से बाहर ले जाना चाहिए। पटाखा व्यापार के लिए एक अलग स्थान निर्धारित किया जाना चाहिए, जहाँ पटाखा व्यापार केवल एक स्थान पर हो।
आठ वर्ष पहले 175 दुकानों को दिया था नोटिस
मालूम है कि मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में 2015 में एक हादसे के बाद, जिला प्रशासन ने रायपुर में 175 पटाखा कारोबारियों को उनका कारोबार घनी आबादी से दूर ले जाने के लिए नोटिस जारी किया था। इसके बाद, कारोबारियों की मांग पर स्थानांतरण की तारीख को दो से तीन बार बढ़ा दिया गया।
इसी दौरान, आठ वर्ष बीत गए। फिर भी, शहर में बीचों-बीच पटाखा व्यापार चल रहा है। बताया जा रहा है कि स्टॉक की भी निगरानी नहीं होती। लाइसेंस वाले पटाखा व्यापारियों को भी 400 किलोग्राम पटाखा रखने की अनुमति है, लेकिन उन्हें भी इससे अधिक का स्टॉक रखा जाता है।
कलेक्टर गौरव सिंह ने कहा कि पटाखा दुकानों को शहर के बाहर करने के मामले में कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। नियम का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।