PM Modi Bastar Visit: नरेन्द्र मोदी ने कभी श्रोता बनकर लालबाग में सुना था अटल जी को, आज वहीं जनसभा को करेंगे संबोधित…|

प्रधानमंत्री मोदी जगदलपुर यात्रा: मंगलवार को, शहर के ऐतिहासिक लालबाग मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे। यह प्रधानमंत्री के लिए इस मैदान में दूसरी सभा है। पहली बार, उन्होंने यहां जनसभा को संबोधित किया था, जब वह विधानसभा चुनाव-2018 के समय यहां आए थे, जो नौ नवंबर को हुआ था।

एक समय ऐसा भी आया था जब मोदी इसी लालबाग मैदान में श्रोता बनकर मंच से दूर बैठे थे। तब किसी ने नहीं सोचा था कि जिस मैदान में जनसभा की तैयारी को लेकर वह दिन-रात एक किए हुए थे, उसी मैदान में एक दिन वह प्रधानमंत्री के रूप में जनसभा को संबोधित करेंगे और उन्हें देखने-सुनने के लिए हजारों की भीड़ जुटेगी।

बात 25 साल पुरानी है, 1998 की। उस समय छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं बना था। यह अविभाजित मध्य प्रदेश का हिस्सा था। भाजपा तब 18 साल के थी। विधानसभा चुनाव 1998 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में, लालबाग मैदान में अक्टूबर महीने में ही एक चुनावी जनसभा हुई थी। नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे और मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे। लालबाग मैदान की जनसभा की तैयारी के लिए, मोदी ने दो दिन पहले ही जगदलपुर पहुंच गए थे।

बस्तर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ, मोदी ने अटल जी की सभा को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरी शक्ति लगाई थी। भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष शेषनारायण तिवारी ने उन दिनों को याद करते हुए इस घटना को नईदुनिया से साझा किया।

उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी थे और उनकी अनुशासनप्रियता की खूबी थी। चारपहिया सूमो वाहन में स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ, वह दो दिन शहर में घूमे थे। जनसभा के दिन, दोपहर 12 बजे, मोदी लालबाग मैदान में मौजूद थे। अटल बिहारी वाजपेयी के आने का समय नजदीक आ रहा था। सभी पहुंचे हुए लोग सभा में मौजूद थे।

मोदी को चिंतित देखकर, तब बस्तर भाजपा के नेता बलीराम कश्यप ने कहा था, “आपने बहुत मेहनत की है, बिल्कुल चिंता मत कीजिए। यहां मैदान में पैर रखने की जगह नहीं बचेगी।” और वही हुआ। जब अटल बिहारी वाजपेयी जनसभा में पहुंचे, तो पूरा मैदान भरा हुआ था। नरेंद्र मोदी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। मोदी ने मंच के पास नीचे बैठते हुए पार्टी संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ अटल बिहारी वाजपेयी और बलीराम कश्यप की बातें सुनी थी।

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