रायपुर (राज्य ब्यूरो)। लोकतंत्र के उत्सव के मौके पर शहरी क्षेत्रों में मतदान की कमी के आंकड़ों पर विचार किया जा रहा है। चुनाव प्राधिकृतिक ने कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इस चुनाव में 80 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य तय किया गया है।”
“2018 के विधानसभा चुनावों में, प्रदेश के विभिन्न विधानसभा में आंकड़ों में कई बदलाव देखे गए। राजधानी में, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत 60 और 61 से आगे नहीं बढ़ सका। 2018 के चुनाव में रायपुर ग्रामीण क्षेत्र में 61, पश्चिम में 60, दक्षिण में 60, और उत्तर में 60 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया।”
“हालांकि, शहर से 15 किमी दूर वास्तविक गाँवी क्षेत्र धरसींवा में 78 प्रतिशत मतदान हुआ। कोंडागांव जैसे नक्सल प्रभावित विधानसभा में 83.79 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था, जबकि बिलासपुर में 60 प्रतिशत मतदान हुआ। प्रदेश में कई ऐसे शहर हैं जहाँ मतदान 60 से 65 प्रतिशत के बीच था।”
प्रदेश में 76.88 प्रतिशत हुआ था मतदान
“2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कुल 76.88 प्रतिशत मतदान हुआ था। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र पाटन में ही 83.26 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिछले चुनाव में 1.85 करोड़ मतदाताओं में से कुल एक करोड़ 42 लाख 9 हजार 497 लोगों ने मतदान किया था। इस चुनाव में कुल 1063 उम्मीदवार मैदान पर उतरे थे।”
70 प्रतिशत से कम मतदान में अभियान
“केंद्रीय चुनाव आयोग के मार्गदर्शन के बाद, 70 प्रतिशत से कम मतदान क्षेत्र वाले विधानसभा क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। गांवों से लेकर शहरों तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। महिला समृद्धि संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना, और एनसीसी समेत विभागीय टीमें जागरूकता फैला रही हैं। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं।”
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अलग योजना
“आदिवासी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस विधानसभा चुनाव में विशेष योजना लागू की जाएगी। अब ज्यादा सुरक्षा बलों के साथ-साथ बूथों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। पिछले चुनाव में 23,677 बूथों में चुनाव हुआ था, लेकिन इस बार 24,000 से अधिक बूथों पर मतदान होगा। बस्तर, बीजापुर, सुकमा, और अन्य आदिवासी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, मतदाताओं को दूर चलकर आने की बजाय कुछ गांवों को मिलाकर मतदान की सुविधा दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करने आ सकेंगे। छत्तीसगढ़ की विशेष जनजातियों के मतदाताओं को 100 प्रतिशत मतदान करने का लक्ष्य रखा गया है।”
किया जा रहा है जागरूक
“मतदान कम हो रहे विधानसभा क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। बीएलओ से लेकर निर्वाचन कार्यालय, सरकारी विभाग, एनएसएस, और अन्य संगठनों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से, प्रेरणास्पद कार्यक्रमों के जरिए मतदान की महत्वपूर्णता को साझा किया जा रहा है।”