“2023 में छत्तीसगढ़ चुनाव: बिलासपुर संभाग की राजनीति में कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां क्षेत्रीय दल कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार की जीत और हार का निर्णय लेती हैं। संभाग के कुछ क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार, और कुछ अन्य क्षेत्रों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।”
“बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, और सारंगढ़ जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में बसपा और कोरबा जिले की सीटों पर, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सत्ताधारी और विपक्षी दल के रणनीतिकारों को बड़ी चुनौती आती है। राज्य के गठन के बाद से हुए चुनावों के परिणामों पर नजर डालते हैं, तो पता चलता है कि यहां के क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के विधानसभा पहुंचने का मार्ग सुगम बनाते हैं।”
कम वोटों का आंकड़ा कांग्रेस के लिए होता है वरदान साबित
“मस्तूरी, बेलतरा, और बिल्हा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी का योगदान जीत और हार के मामले में महत्वपूर्ण है। मस्तूरी विधानसभा के चुनाव परिणाम इस बात का प्रमाण है। जब-जब बसपा के उम्मीदवार 20 हजार वोट की सीमा को पार करते हैं, तो भाजपा की जीत निश्चित हो जाती है। कम वोटों का आंकड़ा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होता है।”
“बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में भी एक समरूप स्थिति पाई जाती है। यहां के मतदाताओं में बसपा के प्रतिबद्ध समर्थकों की संख्या काडर बेस पार्टी होने के कारण काफी अच्छी है। बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों से बिलकुल अलग है। इसके साथ ही, मुंगेली जिले के अंतर्गत आने वाले पथरिया ब्लाक का एक बड़ा हिस्सा भी बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में शामिल है।”
जांजगीर-चांपा जिले में अलग समीकरण
“जांजगीर-चांपा जिले की राजनीतिक प्रभावशीलता बिलकुल विभिन्न है। इस जिले में छह विधानसभा सीटों पर बसपा का बड़ा प्रभाव दिखता है। पामगढ़ और जैजैपुर में बसपा बहुत प्रभावशील भूमिका निभाता है। वर्तमान में पामगढ़ से इंदू बंजारे विधायक हैं। जैजैपुर सीट पर बसपा का प्रभाव खास माना जाता है। अकलतरा, जांजगीर, और सक्ती में इनके उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस के जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
बाहरी उम्मीदवार बना कारण
“कांग्रेस की राजनीति में एक और मुद्दा है कि पामगढ़ विधानसभा सीट से हर बार एक बाहरी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया जाता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं ने भी इसे स्वीकार नहीं किया है। गोरेलाल बर्मन को दो बार और शेषराज हरबंश को कांग्रेस ने पामगढ़ से उम्मीदवार बनाया था, जिसके बारे में बाहरी प्रत्याशी का आरोप भी लगा था।”
“मौजूदा चुनाव में, ब्लाक के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को ही उम्मीदवार बनाने की मांग की है। पामगढ़ में, कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी बाहरी प्रत्याशी से परेशान हैं, जबकि भाजपा के पदाधिकारियों के बीच मतभेद खुलकर दिख रहे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में, चंद्रपुर सीट पर उलटफेर हुआ था, जहां से कांग्रेस के रामकुमार यादव ने चुनाव जीता था। इस चुनाव में, बसपा दूसरे स्थान पर रही थी।”