CG Election 2023: जीत मिले या हार, दोनों ही राजनीतिक दलों ने हर बार एक ही प्रत्‍याशी पर जताया है भरोसा…|

रायपुर। 2023 के चुनावों में, कुछ विधानसभा सीटों पर संभाग की प्रमुख पार्टियों ने भाजपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलकर गच्चा खाया है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां पर हर बार एक ही प्रत्याशी को ही चुना जा रहा है। राज्य गठन के बाद विधानसभा चुनाव में, चाहे वो जीते या हारें, कांग्रेस और भाजपा ने उन्हें ही प्रत्याशी बनाया है।

रायपुर दक्षिण से भाजपा ने अब तक विधायक बृजमोहन अग्रवाल पर ही दांव खेला है, जबकि कांग्रेस ने प्रत्येक बार प्रत्याशी बदली है। रायपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर भी भाजपा के राजेश मूणत उम्मीदवार बने हैं। यहां कांग्रेस ने 2013 के चुनाव में हारे विकास उपाध्याय को जब फिर से प्रत्याशी बनाया तो उन्हें जीत मिली। रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में कुलदीप जुनेजा पर भरोसा किया है। जुनेजा को दो बार जीतने और एक बार हारने का अनुभव करना पड़ा।

राजधानी से लगे धरसींवा विधानसभा क्षेत्र की चर्चा करें, तो भाजपा ने हर बार देवजी भाई पटेल को प्रत्याशी बनाया है। देवजी ने लगातार तीन चुनावों में जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने लगातार प्रत्याशी बदलने के तरीके को बदलते हुए 2013 के चुनाव में अनिता शर्मा को देवजी के खिलाफ जीत कराया था, परन्तु 2018 में उन्होंने फिर से देवजी को टिकट दिया और वह विजयी रहीं। भाटापारा विधानसभा सीट पर भाजपा ने शिवरतन शर्मा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने हर बार चैतराम साहू को प्रत्याशी बनाया है।

कसडोल विधानसभा सीट से कांग्रेस ने तीन चुनावों तक राजकमल सिंघानिया पर भरोसा दिया, लेकिन वर्ष 2018 में उन्हें बदल दिया गया। बिलाईगढ़ सीट से भाजपा ने हमेशा डॉ. सनम जांगड़े को प्रत्येक बार चुनौती दी है। धमतरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने गुरुमुख सिंह होरा को और कुरुद सीट पर भाजपा ने अजय चंद्राकर को हर बार प्रत्याशी बनाया है। सिहावा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पिंकी शिवराज शाह ने तीन बार चुनाव लड़ कर जीत हासिल की हैं। बसना सीट पर कांग्रेस ने तीन बार से देवेंद्र बहादुर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।

तीन दशक से दो दिग्गज ही बने विधायक

रायपुर और नवा रायपुर की सीमाओं से सटे अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 132 गांव स्थित हैं। वर्तमान में, यहां कांग्रेस के धनेंद्र साहू विधायक के रूप में हैं। इस क्षेत्र में पिछले तीन दशकों से लगातार दो प्रमुख नेताओं ने ही विधायक के रूप में चुनाव जीते हैं, जिनमें कांग्रेस के धनेंद्र साहू और भाजपा के चंद्रशेखर साहू शामिल हैं। इसके अलावा, यहां से किसी भी तीसरे व्यक्ति ने विधायक के रूप में चुनाव नहीं जीता है। वर्ष 1985 से लेकर अब तक, अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में धनेंद्र साहू और चंद्रशेखर साहू के बीच महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा चल रही है।

भाजपा के चंद्रशेखर साहू ने पहली बार वर्ष 1985 में विधायक के रूप में चुनाव जीते थे। उसके बाद, वर्ष 1990 और 2008 में भी विधायक बने थे। चंद्रशेखर साहू को भाजपा सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। वे वर्ष 1998 में लोकसभा सांसद भी बने थे। कांग्रेस के धनेंद्र साहू ने वर्ष 1993, 1998, 2003, 2013, और 2018 में विधायक के रूप में चुनाव जीते थे। धनेंद्र जोगी सरकार में मंत्री भी रहे और बाद में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।

अभेद्य किले को जीतने की रणनीति

राज्य गठन के बाद सरकारें आईं और गईं, लेकिन रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल का कोई तोड़ नहीं सका। विधायक बृजमोहन के सामने कांग्रेस ने योगेश तिवारी, किरणमयी नायक, और कन्हैया अग्रवाल जैसे नेताओं को उतारा, लेकिन दक्षिण के किले को फतह करने में कोई भी सफल नहीं हुआ। वर्ष 2023 के चुनाव में कांग्रेस इस अद्वितीय किले को खोलने की रणनीति बना रही है। इसका प्रतीक्षा इस से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने प्रगति यात्रा की शुरुआत बृजमोहन के क्षेत्र से ही की, जिसकी अगुवाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद की।

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