रायपुर, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए, जिन विपक्षी दलों ने कांग्रेस के साथ देशव्यापी गठबंधन बनाया है, उन्हें छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कोई महत्व देने के लिए तैयार नहीं है। यहां विधानसभा की 90 सीटों में से 71 सीटें कांग्रेस के पास हैं और अब 75 पार का लक्ष्य है। महागठबंधन में शामिल वामदल और आम आदमी पार्टी यहां पर अपने उम्मीदवारों को प्रस्तुत कर रहे हैं।
दंतेवाड़ा और कोंटा विधानसभा सीटों पर पहले सीपीआइ के विधायक रहे हैं। कोंटा सीट पर मुकाबला न केवल भाजपा से, बल्कि सीपीआइ से भी होता है। कोंटा से सीपीआइ के मनीष कुंजाम द्वारा प्रतिस्पर्धा की जा रही है। इस परिस्थिति में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के खिलाफ, यहां विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आइएनडीआइए) की कोई संभावना नहीं है। इसके अलावा, यहां से 10 प्रत्याशियों का भी ऐलान हुआ है। कांग्रेस किसी अन्य दल को सीट देकर अपनी भूमि नहीं खोना चाहती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दोहराया कि गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए हो रहा है, न कि विधानसभा चुनाव के लिए। उन्होंने इसके लिए पार्टी के उच्चाधिकारियों की ओर से कोई निर्देश नहीं प्राप्त किए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के बाद प्रदेश में भी चर्चा हुई थी, जिसमें आप, एनसीपी और सीपीआइ ने कांग्रेस के साथ शामिल होने की सम्भावना थी। हालांकि कांग्रेस के सामने इन दलों की कोई महत्वपूर्ण स्थिति नहीं है।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने भी नहीं किया गठबंधन
पिछले चुनावों में स्थानीय पार्टी के रूप में सबसे अधिक ताकत विकसित करने वाली छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) ने अब तक किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया है। जुलाई में विधानसभा घेराव कार्यक्रम के दौरान, जनता कांग्रेस की नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी ने स्पष्ट किया कि पार्टी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जोगी ने कांग्रेस से विलय की बात का कोई संकेत नहीं दिया और न ही किसी गठबंधन का सुझाव दिया। हम एकमात्र खड़े होकर चुनाव लड़ेंगे और सफल होंगे। पिछले बार, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और बसपा ने गठजोड़ किया था, लेकिन बसपा ने, एकला चलो की राह पर 10 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। गोड़वाना गणराज्य पार्टी और सर्व आदिवासी समाज भी चुनाव मैदान में भाग लेने की तैयारी में हैं।
केजरीवाल की सभा से साफ हुई तस्वीर
पिछले महीने, आपके राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिशा-दशा रायपुर में ही सभा और बैठक से गठबंधन की दिशा तय हो गई थी। केजरीवाल ने भूपेश बघेल सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि एक बार आपको मौका दीजिए, बाकी पार्टियों को भूल जाएंगे।