CG Election 2023: चुनावी वर्ष में धान एक बार फिर सुर्खियों में, किसानों के साथ अब व्‍यापारियों के लिए बड़ा मुद्दा बना धान…|

रायपुर। 2023 में छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव: धान इस बार फिर सुर्खियों में है, छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में। धान अब केवल किसानों के लिए ही नहीं, व्यापारिक वर्ग के लिए भी महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। प्रदेश की मंडियों में रबी के धान की कीमत 2,200 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकार के 15 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने से किसानों की कोठियां खाली हो गई हैं।

सरकार ने नवंबर से शुरू होने वाली धान की खरीदी के लिए प्रति एकड़ 20 क्विंटल की सीमा तय की है। सेंट्रल पूल में चावल के कोटे की कमी के बाद, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर चुनावी सभा में दावा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार चावल ले या न ले, किसानों का धान खरीदा जाएगा। यही नहीं, प्रदेश में धान की सियासत का इसका परिणाम है कि छोटी-बड़ी करीब 400 राइस मिल लगाने के लिए विभिन्न जिलों में आवेदन दर्ज हुए हैं।

राजनीतिक पर्वक्षकों के अनुसार, प्रदेश में चावल की मिल की प्रमुख वजह यह है कि राज्य सरकार ने प्रति क्विंटल कस्टम मिलिंग की दर को 40 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया है। चावल मिलरों ने पहले ही कस्टम मिलिंग की दरों में वृद्धि की मांग की थी। इसके साथ ही प्रदेश में प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी का भी प्रभाव दिख रहा है।

बताया जा रहा है कि प्रदेश में दिवाली तक कई चावल मिलों की मिल की दर में वृद्धि हो सकती है। प्रदेशभर में 2,000 बड़ी-छोटी चावल मिल हैं, जिनमें 450 से 500 की वृद्धि हो सकती है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद, चावल की खरीदी नवंबर से शुरू हुई है। किसानों की कोठियां खाली होने का प्रभाव यह है कि व्यापारी अच्छे मूल्य पर रबी के चावल की खरीदी कर रहे हैं। इस चावल की समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होती है।

प्रदेश में धान और किसान पर राजनीतिक दलों की ध्यान जमी हुई है। राज्य सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने बताया कि अगली सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक प्रदेश में प्रति क्विंटल 3,600 रुपये में धान खरीदेगी। आम आदमी पार्टी ने चुनाव के लिए 10 गारंटी जारी करने की घोषणा की है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 9 गारंटी जारी की है और 10वीं गारंटी की घोषणा को रोक दिया है। भाजपा ने भी अपने चुनाव घोषणा पत्र में धान और किसान पर फोकस करने का संकेत दिया है। वहीं, कांग्रेस धान खरीदी में केंद्र सरकार के अड़ंगे को मुदा बनाकर चुनावी सभा में जनता के बीच परोस रही है। इस दौरान किसान हर पार्टी के वादों को जांच रहे हैं।

2,500 रुपये में धान खरीदी बना था चुनावी मुद्दा

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों के साथ वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद धान की खरीदी का दाम 2,500 रुपये प्रति क्विंटल होगा। सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने इस वादे को पूरा किया। किसानों ने चुनाव से पहले धान बेचना बंद कर दिया था। इस बार, 20 क्विंटल प्रति एकड़ की खरीदी के मामले में, कांग्रेस के हर नेता ब्रांडिंग कर रहे हैं और किसान मतदाताओं तक यह संदेश पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं।

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