रायपुर। 2023 की कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख: इस बार, अष्टमी तिथि दो दिनों के बजाय दो दिन तक जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा। राजधानी में सबसे विशेष आकर्षण टाटीबंध स्थित इस्कॉन मंदिर की जन्माष्टमी होगी। यहां, तीन दिनों तक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 6 से 8 सितंबर तक मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी पर इस्कान मंदिर में फूलों की होली
“इस्कान मंदिर के प्रमुख एचएच सिद्धार्थ स्वामी और महोत्सव समिति के अध्यक्ष शुभम सिंघल ने बताया कि इस्कान मंदिर टाटीबंध में मुख्य आकर्षण मल्लिका और महक मल्होत्रा की कृष्ण रासलीला का प्रस्तुतीकरण होगा, साथ ही फूलों की होली भी मनाई जाएगी। मुंबई से 19 कलाकार प्रस्तुत करेंगे। राधा-कृष्ण के श्रृंगार के लिए पोशाक और आभूषण वृंदावन और मुंबई से और मंदिर की सजावट कोलकाता से मंगाए गए फूलों से की जाएगी।”
“मंदिर ट्रस्ट के नेतृत्व में इस्कान परिवार को जोड़ने का अभियान सात सितंबर से शुरू होगा। इस अभियान का उद्देश्य एक वर्ष में 11,000 परिवारों को जोड़ना है। मंदिर के समन्वय समिति में सुलोचन प्रभु, अमित अग्रवाल, पवन सचदेवा, राजेश किंगर, दिलीप केडिया, और राजेंद्र पारख को जिम्मेदारियां दी गई हैं। पहले दिन, छह सितंबर को दोपहर 3 बजे से बच्चों के महोत्सव, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, और भक्ति नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। शाम 6:30 बजे से राजनांदगांव के निखिल श्याम भजनों की प्रस्तुति करेंगे।”
कोतवाली थाने में कृष्ण जन्म का मंचन
“श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव समिति के माधवलाल यादव ने बताया कि सदरबाजार स्थित कोतवाली थाने में श्रीकृष्ण जन्म का आयोजन आधी रात को होगा। लॉकडाउन के बीच, आधी रात को वासुदेव श्रीकृष्ण के जन्म का समारोह मनाने के बाद प्रतिमा को टोकरी में रखकर गोपाल मंदिर की ओर बढ़ेंगे। इसके अलावा, समता कालोनी के खाटू श्याम मंदिर, जवाहर नगर के राधा-कृष्ण मंदिर, बूढ़ापारा में गोकुल चंद्रमा मंदिर समेत विभिन्न पर्व मोहल्लों में जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा।”
कान्हा का झूला, पोशाक, लड्डू गोपाल की खरीदारी
“सदरबाजार गोपाल मंदिर के पास और गोल बाजार में कृष्ण जी की सजावट के लिए झूला, पोशाक और मिश्रित मिठाई की प्रतिमा खरीदने के लिए लोग भीड़ में थे। महिलाएँ विशेष रूप से मोर पंखों से सजे झूलों को पसंद कर रही थीं।”
जन्माष्टमी पर शुष्क दिवस घोषित
“राज्य सरकार ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सात सितंबर को पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में ‘शुष्क दिवस’ की घोषणा की है। इस दौरान पूरे प्रदेश में स्थित सभी देशी और विदेशी शराब की दुकानें, होटल, बार, क्लब, भांग और भांग घोटा की दुकानें बंद रहेंगी। इस अवधि के दौरान शराब के व्यक्तिगत भंडारण और अनाधिकृत शराब के परिवहन और बेचने पर सख्त निरक्षरण लगाने के लिए अबकारी विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।”
समता कालोनी राधा-कृष्ण मंदिर
“राधा-कृष्ण मंदिर समता कालोनी के प्रचार प्रभारी सत्येंद्र अग्रवाल ने बताया कि सात सितंबर को जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन सुबह नौ बजे दुग्ध अभिषेक के साथ होगा। कोलकाता के कारीगरों द्वारा मूर्ति और पूरे मंदिर के परिसर को आकर्षक रूप में सजाया जा रहा है। मंदिर समिति के अध्यक्ष घनश्याम पोद्दार, कोषाध्यक्ष प्रकाश अग्रवाल और सचिव रमाशंकर पांडे के नेतृत्व में सुबह नौ बजे से 101 लीटर दूध से भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया जाएगा। दोपहर 12 बजे से मूर्ति के श्रृंगार का आयोजन किया जाएगा। दूसरे दिन, आठ सितंबर को दोपहर एक बजे से रानी सती दादीजी का मंगल पाठ प्रारंभ होगा। शाम को प्रसाद वितरण भंडारा का आयोजन किया गया है।”
आज और कल दो जन्माष्टमी
“ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार, ‘निर्णयामृत’ और ‘तिथितत्व’ ग्रंथ में उल्लिखित है कि जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र के साथ योग्य होती है, लेकिन वह बिना रोहिणी नक्षत्र के भी हो सकती है। अगर रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी मध्यरात्रि को पड़ती है, तो उस दिन स्मार्त यानी शैव, गृहस्थ जनों का जन्माष्टमी मनाया जाता है। उसके बादके दिन वैष्णव संप्रदाय, साधू, संत, और कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी मनाई जाती है।”
“छह सितंबर को दोपहर 3:37 बजे से अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। साथ ही, रोहिणी नक्षत्र भी प्रात: 9:19 बजे से दिखाई देगा। छह सितंबर की रात को बारह बजे पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा। सूर्य अपनी बड़ी शक्ति के साथ बुधादित्य योग बना रहा है। रात्रि में वज्र, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, और रवि योग का संयोग उपस्थित होगा। इसे देखकर यह लगता है कि कृष्ण जन्म के समय की तरह एक विशेष गुणकर्म अनुभव हो रहा है।”
“पूजन का शुभ मुहूर्त छह सितंबर की रात 11:57 से 12:42 बजे के बीच है, इसका सुझाव शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. इंदुभवानंद दे रहे हैं। उनके अनुसार, जन्माष्टमी योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और व्रत अनंत जन्मों के पापों को नष्ट कर सकते हैं। इसलिए, समस्त स्मार्त जो कर्मकाल व्यापिनी तिथि का पालन करते हैं और स्मृतियों और वेदों पर विश्वास करते हैं, उन्हें आज बुधवार के दिन जन्माष्टमी व्रत मनाना चाहिए। वे लोग भी जो वैष्णव मंत्र की दीक्षा ले चुके हैं और परम वैष्णव मानते हैं, उन्हें उदयव्यापिनी तिथि के आधार पर गुरुवार को जन्माष्टमी व्रत मनाना चाहिए।”