सीजी विधानसभा चुनाव 2023: 2009 के लोकसभा चुनाव को भूल नहीं सकता। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से शुरू से ही कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक का माहौल बना रहा। टिकट की दौड़ में आशीष सिंह ठाकुर बहुत आगे थे। एक दौर में ऐसा भी आया कि दिल्ली ने उनकी उम्मीदवारी को हरादिया। बैनर से लेकर वॉल राइटिंग का काम भी शुरू हो गया था।
कहावत है कि वक्त बदलते बिना देर नहीं लगती, पर यहां हुआ कुछ अलग ही तरीके से। आशीष ने चुनाव लड़ने के लिए तैयारी को अंत तक पहुँचाया। बैनर और पोस्टर का आर्डर भी बुक कर लिया था। फिर एक दिन, दिल्ली से खबर आई और पुष्टि हुई कि डा. रेणु जोगी बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। चुनाव से पहले यह भी देखा गया कि कांग्रेसी शिविर में इस बार कुछ दिलचस्प घटनाएँ हो रही हैं।
और इसके साथ ही, जशपुर में नरेश कुमार दिलीप सिंह जैसे विशेष नेता को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतार दिया। जूदेव के मैदान में आने से ही माहौल गरमा गया। खुद जूदेव के नजदीकी साथी, नंदू सोनी, जिन्होंने उस समय के चुनावी अनुभव को साझा किया, बताते हैं कि चुनाव प्रचार से लेकर जनसंपर्क और मतदान के दिन सब कुछ अलग था। उस समय के चुनाव की वातावरण बिल्कुल अलग थी।
रैली में युवाओं की भीड़ ने भी भाग लिया, और युवाओं में रक्त तिलक के लिए अत्यधिक उत्साह दिखाया, जो तिलक लगाने की बड़ी उत्सुकता का प्रतीक था। हमने सब कुछ अपनी आंखों से देखा और जूदेव की लोकप्रियता की चरम सीमा को भी देखा। मतदान के बाद मतगणना का दौर प्रारंभ हुआ। शाम के लगभग सात बजकर करीब चुनाव परिणाम की घोषणा हुई।
आधे घंटे के बाद, जूदेव इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर के कोने स्थित मतगणना स्थल पहुंचे। वहां, उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार डॉ. जोगी से मिलने का मौका प्राप्त किया। इस समय नंदू सोनी भी उनके साथ थे। डॉ. जोगी को देखकर, शिष्टाचार को एक कदम आगे बढ़ाने और उन पर भरोसा करने वाले जूदेव ने उनकी ओर बढ़ते हुए हाथ जोड़कर उन्हें अभिवादन किया।
डॉ. जोगी ने विनम्रता के साथ हाथ जोड़कर उनका अभिवादन प्राप्त किया और फिर उन्होंने उन्हें जीत की बधाई दी। जूदेव ने दोनों हाथ जोड़कर विनम्रता के साथ उनकी बधाई को स्वीकार किया। फिर, उन्होंने यह बोलने से भी इनकार नहीं किया। तब जूदेव ने डॉ. जोगी से कहा कि भाभी जी, हमको आपको हराकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और हम खुश नहीं हैं। अगर वो लड़ते और हमें हराते तो स्थिति और भी बेहतर हो सकती और तब बात और भी अच्छी हो सकती थी। फिर वे विनम्रता के साथ अपनी बात रखकर प्रमाण पत्र लेने चले गए।