2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: सत्ता का मार्ग इस बार बस्तर से निकलता है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद हर चुनाव ने इसकी प्रमाणितता को साबित किया है। इसके करीब 67 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या है, जिसके परिपक्व पुरुषों से अधिक महिला मतदाताएं हैं, इसके कारण बस्तर में राजनीतिक दलों के अपने विशेष रणनीतिक दृष्टिकोण होते हैं। यहां विकास से अधिक महत्व जनकल्याणकारी सेवाओं, योजनाओं, और कार्यक्रमों को दिया जाता है, जो चुनाव को प्रभावित करते हैं। जनता के विश्वास को प्राप्त करने वाली पार्टी प्रदेश की सत्ता प्राप्त कर लेती है।
इसलिए ही छत्तीसगढ़ में राजनीतिक पार्टियों और उनके शीर्ष नेताओं के द्वारा बार-बार सत्ता का मार्ग बस्तर से खोजा जाता है। विधानसभा चुनाव का समय तेजी से आज़ीब हो रहा है। कांग्रेस और भाजपा जैसे दो बड़े दल अपने प्रत्याशियों का चयन धीरे-धीरे कर रहे हैं। छोटे दल भी तैयारी में हैं और उन्होंने अपने प्रत्याशियों का चयन किया है।
बड़े पार्टियों के प्रत्याशी की घोषणा के बाद, छोटे पार्टियाँ अपने नेता को चुनावी मैदान में उतारेंगी। बस्तर जिले में विधानसभा की लगभग एक दर्जन सीटों पर एकत्र आने वाली 11 सीटों को एक अनुसूचित और अजन्म वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। कांग्रेस, ब्लॉक स्तर पर प्रत्याशियों के आवेदन जमा करने के बाद, स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य डॉ. एल. हनुमंथैया को बस्तर भेजकर प्रत्याशियों और पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं से समीक्षा कर चुकी है।
भाजपा ने भी बस्तर संभाग के लिए एक सीट पर प्रत्याशी की घोषणा की है, और अन्य सीटों पर पर्यवेक्षकों को भेजकर कार्यकर्ताओं से विस्तार से चर्चा की है। इसके बाद, बस्तर में राजनीतिक चर्चा का प्रमुख विषय है कि कौन टिकट किस दल से लाएगा और किसका पत्ता कटेगा।
राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों, सड़कों के कोनों-कोनों में, और यहां तक कि सरकारी कार्यालयों में भी खाली समय में लोगों की चर्चा इसी विषय पर जुटी हुई है। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक सभी सीटों के प्रत्याशी दोनों पार्टियों द्वारा घोषित कर दिए जाएंगे। इसके बाद, चुनावी माहौल में गर्मी बढ़ जाएगी। रायशुमारी के बाद, पिछले दो दिनों से एक अजीब सी शांति छा गई है।
सर्वेक्षणों ने बढ़ाई चिंता
चुनाव में जीत और हार के संदर्भ में पहले से ही काफी अध्ययन और विश्लेषण का वातावरण बन चुका है। दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों ने कई एजेंसियों की सर्वेक्षण रिपोर्टों में अपने लिए जगह बनाने का दावा किया है और अब से ही अपनी टिकट की पुष्टि करने में व्यस्त हो गए हैं। किसी भी व्यक्ति को अपने आप को कमजोर नहीं माना जा रहा है। टिकट की पुष्टि के बाद, वे एक-दूसरे को प्रतिस्पर्धा करने का उत्साह दिखा रहे हैं। सर्वेक्षण के परिणामों के बारे में जीत और हार के दावों से कुछ खुश हैं, लेकिन कुछ चिंतित भी हैं।
अपने-अपने आकाओं के फोन की घनघना रहे घंटी
टिकटों का तय होने से पहले, उम्मीदवार अपनी पार्टी के अपने-अपने प्रमुख नेताओं को संपर्क कर रहे हैं। कांग्रेस में, कुछ उम्मीदवार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मान्यता हैं, तो कुछ टीएस सिंहदेव को, और विचारकों के हिसाब से पीसीसी के नए अध्यक्ष दीपक बैज को अपना गुरु मानते हैं। उनका आश्वासन है कि उनके गुरु उनके टिकट को प्राथमिकता देंगे और चुनाव में जनता के बीच उनका प्रशंसा प्राप्त करेगा। बड़े आकर्षण की ओर भाजपा में भी जा रहा है।